नई दिल्ली: तेलंगाना सरकार ने ईरान सरकार के साथ नेशनल आर्काइव्स हैदराबाद में 800 साल से भी अधिक पुराने 45 मिलियन के करीब उर्दू और फारसी की नायाब किताबों के अलावा बादशाहों, नवाबों और राजाओं के शाही फरमान, हुक्मनामों आदि की खस्ता हालत में सुधार कर उन्हें डिजिटलाइज कर सुरक्षित करने के एक समझौते पर हस्ताक्षर किये हैं।
रॉयल बुलेटिन की खबर के अनुसार, इस समझौते के तहत भारत में स्थित ईरान कल्चर हाउस से सम्बंधित नूर इंटरनेशनल माइक्रो सेंटर दो साल में इन सभी नायाब पांडुलिपियों को सुरक्षित कर उन्हें डिजिटल मोड में सुरक्षित करने की तैयारी कर रहा है।
सेंटर के डायरेक्टर डॉ. मेहंदी ख्वाजा पीरी ने गुरुवार को मीडिया से बताया कि यह किताबें और दस्तावेज भारत के 800 साल के सुनहरे दौर की याद को ताजा कराते हैं। इस दौर में हिंदू और मुसलमानों ने मिलकर भारत की संस्कृति, सभ्यता और विरासत को किताबों में संजोकर हमारे लिए सुरक्षित किया था लेकिन इसका सही से रखरखाव नहीं होने की वजह से यह काफी खस्ताहाल हो गए हैं।
उन्होंने बताया कि अब इन्हें आने वाली पीढ़ियों के लिए बहुत ही सतर्कता और साइंटिफिक तरीके से सुरक्षित करने की तैयारी की जा रही है।
नेशनल आर्काइव्स हैदराबाद में रखे यह नायाब दस्तावेज काफी महत्वपूर्ण और एतिहासिक महत्व के हैं। शायद यह दुनिया का सबसे बड़ा भंडार है जिसमें हमें सुधार करना है। हमें समझौते के अनुसार दो सालों में यह कार्य पूरा करना है लेकिन काम की गंभीरता को देखते हुए कहा जा सकता है कि इसमें 6 साल का समय लग सकता है।
अभी इस काम के बजट के बारे कोई जानकारी नहीं है। जल्द ही एक टीम हैदराबाद जाएगी और वहां पर सर्वे आदि करके पूरा विवरण तैयार करेगी। इस समझौते के लिए भारत सरकार के विदेश मंत्रालय ने काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।