बच्चों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए स्तनपान अत्यंत जरूरी: डॉ. विमलेंदु शेखर

अमेठी: जनपद में सोमवार को विश्व स्तनपान सप्ताह शुरू हुआ. 7 अगस्त तक चलने वाले इस सप्ताह के पहले जिले के 13 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, 30 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और 99 हेल्थ वेलनेस सेंटर समेत निजी चिकित्सालयों पर विविध कार्यक्रम आयोजित हुए. इसी क्रम में सीएचसी गौरीगंज में आयोजित कार्यक्रम में मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. विमलेंदु शेखर शामिल हुए.

सीएमओ ने यहां मौजूद स्टॉफ नर्स, आशा कार्यकत्रियों, गर्भवती महिलाओं एवं धात्री महिलाओं को संबोधित करते हुए कई खास बात बोलीं. उन्होंने बताया कि स्तनपान सप्ताह में एएनएम और आशा कार्यकर्ताओं की भूमिका अहम होगी.

इस वर्ष की थीम ‘स्तनपान को बढ़ावा, शिक्षा और सहयोग’ है. उन्होंने बताया कि शिशु के सर्वांगीण विकास में स्तनपान का खास योगदान है. इस अभियान में मुख्य रूप से शिशु के जन्म के पहले घंटे के अंदर मां का पहला गाढ़ा दूध पिलाने, छह माह तक सिर्फ स्तनपान कराने, कंगारू मदर केयर एवं गृह आधारित नवजात की देखभाल के बारे में जागरूक और प्रेरित किया जाना है.

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र गौरीगंज में आयोजित कार्यक्रम में मौजूद स्टॉफ नर्स, आशा कार्यकत्रियों, गर्भवती महिलाओं एवं धात्री महिलाओ को संबोधित करते हुए, मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. विमलेंदु शेखर ने बताया कि शिशु के सर्वांगीण विकास में स्तनपान का खास योगदान है.

पहले जन्म के एक घंटे के भीतर मां का पहला गाढ़ा दूध पिलाना, दूसरे छह माह तक शिशु को सिर्फ स्तनपान कराना और तीसरा दो वर्ष तक बच्चे को पूरक आहार के साथ स्तनपान कराना और दो वर्ष पूरे होने तक स्तनपान जारी रखना है.

उन्होंने बताया कि 1 अगस्त से शुरू हो रहे स्तनपान सप्ताह में एएनएम और आशा कार्यकर्ताओं की भूमिका अहम होगी. अपर मुख्य चिकित्साधिकारी एवं कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डा. एनके मिश्र ने बताया कि आशा-आंगनबाड़ी कार्यकर्ता घर-घर जाकर सभी धात्री महिलाओं व परिजनों को जन्म के पहले घंटे के अंदर व छह माह तक सिर्फ स्तनपान के लिए जागरूक व प्रेरित करेंगी.

कोविड अभी पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ है तो साफ-सफाई, हाथ धोना, दूध पिलाते समय नाक व मुंह पर मास्क लगाना आदि बातों का विशेष ख्याल रखें. उन्होंने कहा कि स्तनपान स्तन कैंसर से होने वाली मृत्यु को भी कम करता है.

वहीं जिन शिशुओं को जन्म के एक घंटे के अंदर स्तनपान नहीं कराया जाता है, उनमें नवजात मृत्यु दर की संभावना 33 प्रतिशत अधिक होती है.

उन्होंने कहा कि नवजात को कुपोषण से बचाने के लिए जन्म के एक घंटे के भीतर स्तनपान प्रारंभ करें. छह माह तक केवल स्तनपान कराएं और छह माह पूरे होने पर संपूर्ण आहार दें. कार्यक्रम में एसीएमओ संजय कुमार ने शिशु आहार संबंधी कानून के बारे में बताते हुए कहा कि कृत्रिम दूध शिशु आहार एवं बोतल के बिक्री व प्रयोग को बढ़ावा देना आपराधिक कृत्य है.

इस मौके पर जिला स्वास्थ शिक्षा अधिकारी शालू गुप्ता ने स्तनपान से मां और शिशु को होने वाले फायदे के बारे में बताया. उन्होंने कहा कि मां का दूध, शिशु के लिए अच्छा और सम्पूर्ण आहार होता है.

मां और शिशु के बीच में भावनात्मक जुड़ाव पैदा होता है. दूध में पाया जाने वाला कोलेस्ट्रम शिशु को प्रतिरोधक क्षमता प्रदान करता है. शिशु को विभिन्न बीमारियों से बचाता है. प्रसवोपरांत अत्यधिक रक्तस्राव का खतरा कम हो जाता है.

स्तन कैंसर, गर्भाशय कैंसर तथा अंडाशय के कैंसर के खतरे कम हो जाते हैं. शिशु की शारीरिक और मानसिक वृद्धि में बेहतर विकास होता है. कार्यक्रम में बीसीपीएम प्रमोद कुमार और अन्य लोग मौजूद रहे.

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