कर्नाटक में हिजाब विवाद के बीच विधानसभा सत्र सोमवार को शुरू हो गया. कर्नाटक कांग्रेस विधायक कनीज फातिमा (Congress MLA Kaneez Fathima) ने अपने बयान के मुताबिक हिजाब पहनकर विधान सभा सत्र में भाग लिया.
कनीज फातिमा ने 5 फरवरी को कहा था कि ‘मैं हिजाब पहनकर विधानसभा में बैठूंगी.’ अपने बयान के मुताबिक विधायक सोमवार को हिजाब पहनकर विधानसभा में पहुंचीं. 5 फरवरी को कलबुर्गी में हिजाब का समर्थन करने वाली मुस्लिम छात्रों से उन्होंने कहा था कि, ‘हिजाब पहनना हमारा अधिकार है और यह मुस्लिम समुदाय को दिया गया संवैधानिक अधिकार है. हम किसी भी कारण से बुर्का नहीं छोड़ेंगे. किसी को भी इस पर सवाल उठाने का अधिकार नहीं है.’
उन्होंने मीडिया से कहा था, ‘मैं भी हिजाब पहनकर विधानसभा में बैठूंगी. अगर किसी में हिम्मत है तो मुझे रोके. जब से बीजेपी की सरकार आई है, नए कानून लागू हुए हैं. हम इससे सहमत नहीं हैं.’
इस बीच कर्नाटक में उच्च विद्यालय सोमवार को फिर से खुल गए. उच्च विद्यालयों को हिजाब को लेकर विवाद के बाद राज्य के कुछ हिस्सों में अप्रिय घटनाओं के मद्देनजर बंद कर दिया गया था. उडुपी और दक्षिण कन्नाड़ा व बेंगलुरु के संवेदनशील इलाकों में अपराधिक दंड संहिता प्रक्रिया (सीआरपीसी) की धारा 144 लागू की गई है.
वहीं, कर्नाटक के शिवमोग्गा जिले के एक स्कूल में एसएसएलसी की प्रारंभिक परीक्षा के दौरान कई मुस्लिम छात्राएं हिजाब पहनकर परीक्षा देने आई थीं. स्कूल स्टाफ ने उन्हें अनुमति नहीं दी और हिजाब उतारकर परीक्षा में शामिल होने की सलाह दी. हालांकि छात्रा नहीं मानी. उन्होंने परीक्षा का बहिष्कार किया और घर चली गईं.
कर्नाटक में हिजाब विवाद की कई घटनाएं सामने आई हैं. मुस्लिम छात्राओं को हिजाब में कॉलेजों या कक्षाओं में जाने की अनुमति नहीं दी जा रही है. कुछ हिंदू छात्र हिजाब के जवाब में भगवा शॉल पहनकर शैक्षणिक संस्थानों में आ रहे हैं. यह मुद्दा जनवरी में उडुपी के एक सरकारी महाविद्यालय से शुरू हुआ था. यहां छह छात्राएं निर्धारित ड्रेस कोड का उल्लंघन कर हिजाब पहनकर कक्षाओं में आई थीं. इसके बाद इसी तरह के मामले कुंडापुर और बिंदूर के कुछ अन्य कॉलेजों से भी आए.
कर्नाटक के उडुपी के गवर्नमेंट गर्ल्स प्री यूनिवर्सिटी कॉलेज में छह छात्राओं को हिजाब पहनने की अनुमति नहीं देने के विवाद ने राज्य के शिक्षा मंत्री बी.सी. नागेश ने इसे एक ‘राजनीतिक’ कदम करार दिया और पूछा कि क्या शिक्षण संस्थान धार्मिक केंद्रों में बदल गए हैं.