सुप्रीम कोर्ट के रोक के बावजूद बरेली में मकानों पर चला बुलडोज़र

बरेली: सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद उत्तर प्रदेश के बरेली में बुलडोजर एक्शन हुआ है. जिले में कैंटोनमेंट बोर्ड की जमीन पर बने मकानों को ध्वस्त कर दिया गया है. जिसके कारण 40 से ज्यादा परिवार अपने घर से बेघर हो गए हैं. इस बुलडोजर कार्रवाई को लेकर कई तरह से सवाल उठ रहे हैं और लोगों ने जिला प्रशासन पर गंभीर आरोप भी लगाए हैं. लोगों का कहना है कि उनको सुबह में खबर दी गई कि आज यानी 18 नवंबर को उनका मकान तोड़ दिया जाएगा.

ज़ी सलाम की खबर के अनुसार, उत्तर प्रदेश के बरेली जिले में कैंटोनमेंट बोर्ड के तोपखाना में 40 से ज्यादा मकान बने हुए हैं. जिस जमीन पर लोगों के मकान बने हैं, वह सरकारी जमीन है. आज सुबह ही बार्ड के अधिकारी सुबह में बुलडोजर लेकर पहुंचे थे. बुलडोजर को देखते ही लोगों में दहशत का माहौल बन गया. सभी लोग अपने-अपने मकानों से अपना सामान बाहर निकाल कर रखने लगे. इसके बाद बुलडोजर से 40 घरों को तोड़ दिया गया. वहीं, मौके पर मौजूद जेई मनोज यादव ने बताया कि दिवाली से पहले सभी अवैध कब्जेदारों को नोटिस दिया गया था. करीब 40 मकान चिह्नित किए गए थे. सभी के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.

वहीं, आशियाना छीनने बाद लोगों का दर्द छलका है. एक मकामी ने प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि घर तोड़ने के लिए प्रशासन ने पहले कोई लिखित सूचना नहीं दी. सिर्फ दो दिन पहले सामान खाली करने को कहा गया. वहीं, एक महिला ने बताया कि उनकी मां ने अपना बचपन इसी मकान में बिताया है, जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि वे कितने सालों से इस मकान में रह रहे हैं.

वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर एक्शन पर रोक लगा दी है. कोर्ट ने 13 नवंबर को अपने फैसले में कहा था कि बुलडोजर कार्रवाई का मनमाना रवैया बर्दाश्त नहीं होगा. अधिकारी मनमाने तरीके से काम नहीं कर सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर कार्रवाई पर दिशानिर्देशों का जिक्र करते हुए कहा था कि बुलडोजर कार्रवाई को लेकर कम से कम 15 दिन की मोहलत दी जानी चाहिए. नोडिल अधिकारी को 15 दिन पहले नोटिस भेजना होगा. नोटिस विधिवत तरीके से भेजा जाना चाहिए. यह नोटिस निर्माण स्थल पर चस्पा भी होना चाहिए.

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