मुंबई: महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री को लेकर पिछले 12 दिनों से चल रहा सस्पेंस आज खत्म हो गया है. मुंबई में बीजेपी की विधायक दल की बैठक में सर्वसम्मति से देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री चुन लिया गया है. वह कल पद की शपथ लेंगे. वह तीसरी बार महाराष्ट्र के सीएम बनेंगे.
मंत्रिमंडल का कैसे होगा बंटवारा बीजेपी: 21-22 मंत्रालयों की संभावना, जिनमें गृह और राजस्व जैसे महत्वपूर्ण विभाग शामिल होंगे. पार्टी को विधानसभा अध्यक्ष और विधान परिषद अध्यक्ष का पद भी मिल सकता है.
शिवसेना: 16 मंत्रालयों की मांग की थी, लेकिन 12 मंत्रालयों पर सहमति बनने की संभावना है, जिसमें शहरी विकास विभाग भी शामिल होगा. पार्टी विधान परिषद अध्यक्ष पद के लिए भी दावा कर रही है.
एनसीपी: 9-10 मंत्रालयों की संभावना, जिनमें वित्त और उपाध्यक्ष का पद शामिल होगा.
Devendra Fadnavis unanimously elected as the Leader of Maharashtra BJP Legislative Party. pic.twitter.com/015hrTDxtn
— ANI (@ANI) December 4, 2024
ईटीवी भारत की खबर के अनुसार, फडणवीस के लिए इस बार सीएम के कुर्सी तक पहुंचने का सफर बिल्कुल भी आसान नहीं रहा, खासकर जब हाल ही में जब लोकसभा चुनाव में बीजेपी महाराष्ट्र में दहाई का आंकड़ा भी नहीं छू पाई. लोकसभा चुनाव में मिली करारी शिकस्त के बाद कयास लगाए जा रहे थे कि पीएम मोदी उन्हें कैबिनेट में जगह दे सकते हैं या उन्हें पार्टी अध्यक्ष बनाया जा सकता है.
नागपुर में 22 साल के पार्षद से लेकर राज्य के शीर्ष पद तक का फडणवीस का सफर उनकी राजनीतिक सूझबूझ का सबूत है. पेशे से वकील और राष्ट्रीय स्वंय सेवल (RSS) के समर्पित कार्यकर्ता ने महाराष्ट्र की राजनीति के उतार-चढ़ाव में अपना हुनर दिखाया और तीखी जुबान वाले एक अध्ययनशील विधायक के रूप में ख्याति अर्जित की. नागपुर दक्षिण पश्चिम निर्वाचन क्षेत्र से उनकी लगातार छह बार जीत उनके गृह क्षेत्र में उनकी लोकप्रियता को दर्शाती है.
Official invitation card of swearing-in ceremony with Devendra Fadnavis mentioned as Chief Minister of Maharashtra released by state government.
(Pic: Team of Devendra Fadnavis) pic.twitter.com/WPCtLIjJye
— ANI (@ANI) December 4, 2024
देवेंद्र फडणवीस 3 दशक से अधिक समय से राजनीति में सक्रिय हैं. उन्होंने अपने समकालीन राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों की तुलना में कम उम्र में अपना करियर शुरू किया था. उनके पिता गंगाधर फडणवीस भी बीजेपी के प्रमुख नेता थे. वे कई साल तक विधान परिषद के सदस्य रहे. गंगाधर फडणवीस निधन की मौत के बाद खाली हुई विधान परिषद सीट पर नितिन गडकरी निर्वाचित हुए.
देवेंद्र अपने छात्र जीवन के दौरान अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े रहे. वह1992 में वह पहली बार 22 साल की उम्र में नागपुर नगर निगम में पार्षद बने. फडणवीस जल्द ही नागपुर के मेयर भी बने. हालांकि,1999 में जब शिवसेना-बीजेपी गठबंधन शिकस्त हुई. उस समय फडणवीस पहली बार विधानसभा पहुंचे. फडणवीस 2013 में बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष बने.
2014 में मुख्यमंत्री के रूप में उनका पहला कार्यकाल एक ऐतिहासिक क्षण था. उस सम भाजपा ने अविभाजित शिवसेना के साथ गठबंधन की सरकार बनाई थी. मुख्यमंत्री के रूप में अपने पहले कार्यकाल में उन्होंने मराठा आरक्षण के जटिल मुद्दे को सुलझाया, मुंबई-नागपुर समृद्धि महामार्ग जैसी महत्वाकांक्षी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं की शुरुआत की और पुलिस सुधारों को लागू किया, लेकिन सिंचाई घोटाले को उजागर करने में उनकी भूमिका ने वास्तव में उन्हें एक ताकत के रूप में स्थापित किया. उनके नेतृत्व में महाराष्ट्र ने एक मजबूत बुनियादी ढांचे का विकास देखा, जिसमें जल युक्त शिवार जैसी पहल ने पूरे राज्य में जल प्रबंधन को बदल दिया.
2019 के चुनावों के बाद शिवसेना ने गठबंधन से अलग हो गई, जिससे राज्य में राजनीतिक संकट पैदा हो गया. इस उथल-पुथल के दौरान फडणवीस ने नवंबर 2019 में कुछ समय के लिए सरकार का नेतृत्व किया. इस दौरान मुख्यमंत्री के रूप में उनका कार्यकाल महज 80 घंटे चलने के बाद उस समय समाप्त हो गया, जब एनसीपी के भीतर अजीत पवार की तख्तापलट की कोशिश विफल हो गई.
हालांकि, बाद में शिवसेना और एनसीपी में दो गुटों में बंट गई, जिसके बाद बीजेपी ने दोनों दलों से अलग हुए गुटों के साथ मिलकर सरकार बनाई, लेकिन देवेंद्र फडणवीस मुख्यमंत्री नहीं बन सके, बल्कि इस एकनाथ शिंदे ने शीर्ष पद की शपथ ली, जबकि फडणवीस और अजित पवार डिप्टी सीएम बने.
इस बीच देवेंद्र फडणवीस ने 2022 में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे से डिवाइस छीन ली. इस घटना ने बताया दिया था कि वह दूसरे दर्जे की भूमिका निभाने का आदी नहीं हैं.वह एक बार फिर भारत के सबसे अमीर राज्य के टॉप पद को संभालने के तैयार हैं.
इस साल हुए महाराष्ट्र चुनाव में भाजपा 288 विधानसभा सीटों में से 132 सीटें जीतकर विजयी हुई है. वहीं, एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना और अजीत पवार की एनसीपी सहित अपने सहयोगियों के साथ, भाजपा के नेतृत्व वाले महायुति गठबंधन के पास अब 230 सीटों का बहुमत है.