मुंबई: बॉम्बे हाई कोर्ट ने मंगलवार को एक अहम फैसला सुनाते हुए कहा कि मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत एक से अधिक शादियों को पंजीकृत करवाने की अनुमति दी जा सकती है। कोर्ट ने साफ किया कि मुस्लिम व्यक्ति अपनी दूसरी या तीसरी शादी का भी पंजीकरण करवा सकते हैं, क्योंकि मुस्लिम पर्सनल लॉ कई विवाहों की अनुमति देता है। यह फैसला कोर्ट के सामने एक याचिका के दौरान आया, जिसमें एक मुस्लिम व्यक्ति ने अपनी तीसरी शादी के पंजीकरण की मांग की थी।
पाञ्चजन्य खबर के अनुसार, मामला तब सामने आया जब एक मुस्लिम व्यक्ति ने अपनी तीसरी पत्नी के साथ शादी पंजीकृत करने के लिए ठाणे नगर निगम के विवाह पंजीकरण कार्यालय में आवेदन दिया, जिसे अधिकारियों ने यह कहकर खारिज कर दिया कि महाराष्ट्र विवाह ब्यूरो विनियमन और विवाह पंजीकरण अधिनियम के तहत एक समय में केवल एक विवाह को पंजीकृत किया जा सकता है। याचिकाकर्ता ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और इस मामले पर न्याय की मांग की।
कोर्ट में न्यायमूर्ति बी.पी. कोलाबावाला और न्यायमूर्ति सोमशेखर सुंदरसन की पीठ ने सुनवाई के बाद निर्णय लिया कि मुस्लिम पर्सनल लॉ के अनुसार, एक व्यक्ति को चार शादियां करने का अधिकार है और इस पर किसी प्रकार का कोई कानूनी प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता है। कोर्ट ने अधिकारियों के इस तर्क को अस्वीकार कर दिया कि महाराष्ट्र विवाह पंजीकरण अधिनियम केवल एक विवाह को मान्यता देता है।
ठाणे नगर निगम के अधिकारियों ने याचिकाकर्ता के आवेदन को यह कहकर खारिज किया था कि उन्होंने अपनी तीसरी शादी के पंजीकरण के लिए सभी आवश्यक दस्तावेज जमा नहीं किए हैं। हालांकि, अदालत ने निर्देश दिया कि दंपति सभी आवश्यक दस्तावेजों को दो सप्ताह के भीतर प्रस्तुत करें, जिसके बाद अधिकारी व्यक्तिगत सुनवाई करेंगे और दस दिनों के भीतर विवाह पंजीकरण को मंजूरी देने या अस्वीकार करने का निर्णय देंगे।
हालांकि, बॉम्बे हाई कोर्ट ने इस मुद्दे पर फैसला सुनाकर मुस्लिम पर्सनल लॉ का सम्मान किया है।