रांची: चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) एनवी रमना रांची के एक दिवसीय दौरे पर पहुंचे. ज्यूडिशियल एकेडमी के कार्यक्रम में चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया ने अपने संबोधन में मीडिया खासकर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और सोशल मीडिया पर तंज कसा है. उन्होंने कहा कि हम देख रहे हैं कि मीडिया कंगारू कोर्ट चला रहे हैं. इसके चलते कई बार तो अनुभवी न्यायाधीशों को भी फैसला लेने में मुश्किल आती है.
By overstepping and breaching your responsibilities, you are taking our democracy two steps backward. Print media still has a certain degree of accountability, whereas electronic media has zero accountability: CJI NV Ramana in Ranchi, Jharkhand pic.twitter.com/15N94I7aZ4
— ANI (@ANI) July 23, 2022
ईटीवी भारत रिपोर्ट के अनुसार, एक दिवसीय दौरे पर रांची पहुंचे चीफ जस्टिस एनवी रमना ने अपने संबोधन में कई मामलों पर मीडिया ट्रायल पर सवाल उठाए हैं. ज्युडिशियल एकेडमी में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सीजेआई ने कहा कि उन्होंने कहा कि मीडिया कंगारू कोर्ट लगा लेता है. ऐसे में अनुभवी जजों को भी फैसला लेने में मुश्किलें आती हैं. उन्होंने कहा कि प्रिंट मीडिया में अभी भी जवाबदेही है, लेकिन इलेक्ट्रोनिक मीडिया में जिम्मेदारी नहीं दिखाई देती है.
सीजेआई ने रांची में कहा कि लोकतंत्र में जज का विशेष स्थान होता है, न्यायाधीश आंखें नहीं मूंद सकते हैं, लेकिन इलेक्ट्रानिक मीडिया के गैरजिम्मेदाराना व्यवहार से न्याय व्यवस्था प्रभावित हो रही है. इससे लोकतंत्र को नुकसान हो रहा है. सीजेआई ने कहा कि किसी भी केस को लेकर मीडिया में ट्रायल शुरू हो जाता है. इसके साथ सीजेआई ने कहा कि न्याय वितरण से जुड़े मुद्दों पर गलत सूचना और एजेंडा संचालित बहस लोकतंत्र के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक साबित हो रहा है.
Politicians, bureaucrats, police officers and other public representatives are often provided with security even after their retirement owing to the sensitiveness of their jobs. Ironically, judges are not extended similar protection: CJI NV Ramana in Ranchi, Jharkhand pic.twitter.com/q9OHx5QEuG
— ANI (@ANI) July 23, 2022
सीजेआई ने कहा कि अगर ज्यूडिशियरी सफर करेगा तो डेमोक्रेसी सफर करेगा. अपने संबोधन के दौरान उन्होंने कहा कि उन्हें राजनीति में आना था मगर वे आ गये न्यायिक सेवा में, लेकिन इसको लेकर कोई मलाल नहीं है.
सीजेआई ने कहा, लोग अक्सर भारतीय न्यायिक प्रक्रिया में लंबे समय से लंबित मामलों की शिकायत करते हैं. कई मौकों पर खुद उन्होंने भी लंबित मामलों के मुद्दों को उजागर किया है.
उन्होंने न्यायाधीशों को उनकी पूरी क्षमता से कार्य करने में सक्षम बनाने के लिए भौतिक और व्यक्तिगत दोनों तरह के बुनियादी ढांचे को सुधारने की आवश्यकता की पुरजोर वकालत की.
भारत के मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि लोगों ने एक गलत धारणा बना ली है कि न्यायाधीशों का जीवन बहुत आसान है. इस बात को निगलना काफी मुश्किल है. सेवानिवृत्त होने के बाद भी जजों को सुरक्षा मुहैया कराए जाने की आवश्यकता पर उन्होंने जोर दिया.