Delhi Loudspeaker Guidline: देश की राजधानी दिल्ली में लाउडस्पीकर के इस्तेमाल के लेकर नई गाइडलाइन जारी की गई है. दिल्ली पुलिस ने यह एडवाइजरी नॉइज पॉल्यूशन (रेग्युलेशन एंड कंट्रोल) रूल्स के तहत जारी की है. दिल्ली पुलिस की एडवाइजरी के अनुसार, अब बिना लिखित इजाजत के लाउडस्पीकर और साउंड सिस्टम का इस्तेमाल नहीं कर सकेंगे. आईए यहां जानते हैं कि लाउडस्पीकर को लेकर क्या एडवाइजरी जारी की गई है…
एडवाइजरी के मुताबिक, कहीं भी लाउडस्पीकर या पब्लिक एड्रेस सिस्टम चलाने से पहले पुलिस की लिखित इजाजत लेनी पड़ेगी. वहीं सार्वजनिक समारोहों, धार्मिक आयोजनों और रैलियों सहित किसी भी स्थान पर लाउडस्पीकर लगाने या चलाने के लिए पुलिस से अनुमति लेना जरूरी है.
गाइडलाइन के मुताबिक कितनी रहेगी शोर की लिमिट?
- औद्योगिक क्षेत्र में सुबह 6 बजे से रात 10 बजे तक 75 डेसिबल, रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक 70 डेसिबल
- आवासीय इलाको में सुबह 6 बजे से रात 10 बजे तक 55 डेसिबल और रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक 45 डेसबल
- साइलेंस ज़ोन (अस्पताल, स्कूल और कोर्ट जैसे इलाकों) में सुबह 6 बजे से रात 10 बजे तक 50 डेसिबल और रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक 40 डेसिबल
- किसी भी सार्वजनिक पब्लिक प्लेस पर लाउडस्पीकर का शोर अधिकतम 75 डेसिबल से ज्यादा नहीं होना चाहिए. वहीं प्राइवेट साउंड सिस्टम के लिए यह सीमा 5 डेसिबल से अधिक नहीं होनी चाहिए.
गाइडलाइन ना मानने पर कितना जुर्माना?
- लाउडस्पीकर का गलत इस्तेमाल करने पर 10,000 रुपये का जुर्माना और साउंड सिस्टम जब्त किया जाएगा.
- डीज़ल जनरेटर पर जुर्माना
- 1000 KVA से ज़्यादा 1,00,000 रुपये जुर्माना
- 62.5 KVA से 1000 KVA: 25,000 रुपये जुर्माना
- 62.5 KVA तक 10,000 हजार रुपये जुर्माना
- नॉइज़ करने वाले कंस्ट्रक्शन उपकरण पर ₹50,000 जुर्माना, मशीनें सील या जब्त होंगी.
पटाखे जलाने पर भी कानूनी कार्रवाई
दिल्ली पुलिस ने इसके साथ ही यह भी कहा कि निर्धारित समय सीमा के बाहर पटाखे जलाने पर भी कानूनी कार्रवाई की जाएगी. वहीं बता दें कि धार्मिक समारोहों, विवाह समारोहों या रैलियों के दौरान उल्लंघन के मामलों में जुर्माना क्षेत्र के आधार पर अलग-अलग होगा.
एडवाइजरी के मुताबिक, आवासीय क्षेत्र में 10,000 रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा, तो वहीं,शांत क्षेत्रों में 20,000 रुपये का जुर्माना भरना पड़ेगा.
दिल्ली पुलिस ने स्पष्ट रुप से इस बात पर जोर दिया कि इस एडवाइजरी का उद्देश्य समारोहों या धार्मिक प्रथाओं पर प्रतिबंध लगाना नहीं है, बल्कि यह सुनिश्चित करना है कि इन आयोजनों से छात्रों, मरीजों और बुजुर्गों जैसे कमजोर समूहों को परेशानी न हो.