Sharmishtha Panauli Case: कलकत्ता हाईकोर्ट ने आज यानी कि मंगलवार, 3 मई को पैगंबर मोहम्मद साहब पर आपत्तिजनक पर टिप्पणी करने वाली शर्मिष्ठा पनोली की जमानत याचिका पर सुनवाई हुई, जहां कोर्ट ने याचिका करते हुए सख्त टिप्पणी की. हाईकोर्ट ने कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता यह मतलब नहीं कि किसी को धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने की अनुमति मिल जाए. इसके साथ ही कोर्ट ने पांच जून को अगली सुनवाई में राज्य सरकार को केस डायरी पेश करने का निर्देश दिया.
कलकत्ता हाईकोर्ट ने शर्मिष्ठा पनोली की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान शर्मिष्ठा के वकील से कहा कि वीडियो सोशल मीडिया पर पोस्ट किया गया और ऐसा सुनने में आया कि इससे एक खास वर्ग की भावनाएं आहत हुई हैं.
हाईकोर्ट ने लगाई फटकार
हाईकोर्ट की एक बेंच ने कहा कि हमें अभिव्यक्ति की पूरी आजादी है, इसका मतलब यह नहीं है कि आप किसी की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचा सकते हैं. अदालत ने कहा कि अगर सज़ा सात साल से कम भी हो, तो भी पुलिस को किसी को भी गिरफ़्तार करने का पूरा अधिकार है. बेंच ने कहा कि अगर कथित अपराध की सज़ा 7 साल से कम है, तो इसका मतलब यह नहीं है कि पुलिस आपको गिरफ़्तार नहीं कर सकती. भारतीय संहिता के सेक्शन 35 की कोई भी शर्त पूरी होने पर पुलिस चाहे तो किसी को भी गिरफ़्तार कर सकती है, आपको पहले प्रावधान पढ़ने चाहिए.
हाईकोर्ट ने आगे कहा
वहीं इसके साथ ही हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि कोलकाता में दर्ज प्राथमिक मामले को ही मुख्य मामला माना जाएगा. यह पहले दर्ज किया गया था. उनके खिलाफ दर्ज अन्य मामलों में सभी कार्यवाही बंद कर दी जाएगी. साथ ही यह निर्देश दिया कि उनके खिलाफ समान आरोपों पर कोई और एफआईआर दर्ज न हो और जांच एजेंसी पनोली के खिलाफ मुख्य मामले में अपनी जांच जारी रखेगी.
कलकत्ता हाईकोर्ट ने आगे कहा कि किसी भी व्यक्ति को ऐसी टिप्पणी करते समय सावधानी बरतनी चाहिए, क्योंकि हमारे देश में विभिन्न समुदाय, जाति और धर्म के लोग एक साथ रहते हैं.