Sambhal: हर साल महान सूफ़ी संत सैयद सलार मसूद गाज़ी रहमतुल्लाह अलैह की याद में रगने वाले नेजा मेले को लेकर इस बार विवाद खड़ा हो गया है. दरअसल बीते मंगलवार को पुलिस ने संभल में उस गड्ढे को सीमेंट से बंद करवा दिया जहां मेले की शुरुआत से पहले जहां झंडा लगाया जाता था.
पुसिल अफसर के बयान से छिड़ा विवाद
बता दें कि जहां हर साल मेला लगता है वहां भारी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया है. साथ ही पुलिस प्रशासन द्वारा ड्रोन से निगरानी की जा रही है. ASP (उत्तरी) श्रीश्चंद्र और सीओ अनुज चौधरी ने PAC-RRF के जवानों के साथ फ्लैग मार्च भी किया. मीडिया रिपोर्ट के हवाले से ASP ने कहा कि यह एक गलत परंपरा थी. गलत परंपराओं को जारी रखना ठीक नहीं है. अब्दुल सालार मसूद गाजी, महमूद गजनवी का सगा भांजा था और लूटपाट के इरादे से भारत आया था. उसकी याद में झंडा गाड़ना उचित नहीं है.
पलिस प्रशासन के इस कार्रवाई के बाद एक नया विवाद छिड़ गया है. संबल के सपा सांसद जिया उर रहमान बर्क ने पुलिस के बयान का करारा जवाब दिया है.
‘अधिकारी सिर्फ नफरत की हवा को आगे बढ़ा रहा है’
सांसद जिया उर रहमान बर्क ने कहा कि आखिरकार एक अधिकारी बिना कुछ तथ्यों के जाने बार बार जिस तरीके के अलफाज एक सूफी संत के बारे में इस्तेमाल कर रहा है वो सिर्फ नफरत की हवा को आगे बढ़ाने का काम कर रहा है ना कि संविधान का पालन कर रहा है.
जिया उर रहमान बर्क ने आगे कहा कि सैयद सलार मसूद गाज़ी जिन्हें सोमनाथ के मंदिर पर हमले से जोड़कर बताया जा रहा है वो गलत है जब सोमनाथ के मंदिर पर हमला हुआ तब आपकी उम्र सिर्फ 11 साल थी. इतिहासकार बताते हैं कि सोमनाथ के मंदिर पर हमले में उनकी मौजूदगी का कोई भी जिक्र नहीं है.
‘सूफ़ी संत सैयद सलार मसूद गाज़ी की याद में नेज़े के मेले लते हैं’
उन्होंने आगे कहा कि महान सूफ़ी संत सैयद सलार मसूद गाज़ी रहमतुल्लाह अलैह की याद में जगह जगह सैकड़ो नेज़े के मेले लगाऐ जाते हैं उस समय इंसानियत पर हो रहे अत्याचार के ख़िलाफ़ सय्यद मसूद ग़ाज़ी सिर्फ़ अल्लाह के लिए इंसानियत की ख़िदमत कर रहे थे.
जिया उर रहमान बर्क ने ने सवाल पूछते हुए उन्होंने कहा कि संविधान की शपथ लेने वाले लोग कैसे किसी की आस्था का खिलवाड़ कर लेते हैं, उनपर क्यों डीजीपी या सरकार लगाम नहीं लगाती है? सांसद ने आगे कहा कि सबको अपनी मर्जी से इबादत करने की आजादी है. और यह अधिकार संविधान ने ही दिया है।. लेकिन सम्भल में अधिकारी संवैधानिक अधिकार को नजर अंदाज कर रहे है.
ऐसे अधिकारी को फौरन पदमुक्त करना चाहिए
सपा सांसद ने कहा कि उनकी सारी समस्या सैयद सालार मसूद गाज़ी र.अ. से है. जो मेला सैकड़ों साल से परंपरागत लगता आ रहा है उसे रोकने अनैतिक है.सैयद सलार मसूद गाज़ी 12वीं शताब्दी के महान सूफी संत थे. यूपी के बहराइच में उनकी कब्र है, उनके मज़ार पर हर साल जेठ के महीने में मेला लगता है. जिसमें हिंदू और मुस्लिम सिख ईसाई समुदायों के लोग शामिल होते हैं. उनकी दरगाह हिंदू-मुस्लिम एकता के प्रतीक के रूप में देखी जाती है. उन्होंने कहा कि जिस तरह एक महान सूफी संत पर अमर्यादित टिप्पणी की है, वो नफरत की सियासत का नतीजा है. ऐसे अधिकारी को फौरन पदमुक्त करना चाहिए.