SADAA Times

जामिया के स्थापना दिवस के अवसर पर इस्लामिक स्टडीज विभाग में सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन

नई दिल्ली: जामिया मिल्लिया इस्लामिया की स्थापना अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के विरोध का परिणाम नहीं है बल्कि यह सर सैयद अहमद ख़ान के सपनों को साकार करने का एक व्यावहारिक उदाहरण है. ये विचार इस्लामिक स्टडीज विभाग के अध्यक्ष और मानविकी एवं भाषा संकाय के डीन प्रोफेसर डॉ. इक़्तिदार मोहम्मद खान ने जामिया मिल्लिया इस्लामिया के 104वें स्थापना दिवस के अवसर पर छात्रों द्वारा आयोजित तीन दिवसीय सांस्कृतिक कार्यक्रम के उद्घाटन समारोह में व्यक्त किए.

उन्होंने विभाग के स्नातकों को विश्वविद्यालय के आंदोलन, इतिहास और संस्थापकों के अविस्मरणीय सेवाओं के बारे में बताया और कहा कि चूंकि आप इस्लामिक स्टडीज विभाग के छात्र हैं, इसलिए वर्तमान परिदृश्य में इस्लाम और मुसलमानों की सही तस्वीर दुनिया के सामने पेश करने की आपकी जिम्मेदारी बढ़ जाती है.

प्रोफेसर डॉ. इक़्तिदार मोहम्मद खान

इस्लामिक स्टडीज विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रोफेसर सैयद शाहिद अली ने कहा कि स्थापना दिवस के अवसर पर हमें अपने विभाग के दृष्टिकोण और मिशन को याद रखते हुए जामिया के संस्थापकों के संदेशों को प्रचारित करने की जरूरत है और विभाग के छात्र इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं. विभाग के वरिष्ठ शिक्षक डॉ. मुहम्मद अरशद ने स्थापना दिवस के अवसर पर शानदार सांस्कृतिक कार्यक्रम के आयोजन के लिए छात्रों को बधाई दी और उनसे इस अवसर का पूरा लाभ उठाने और इसमें अधिक से अधिक भाग लेने को कहा.

वहीं इसके अलावा इस मौके पर हमारी सदा ट्रस्ट के संस्पाथक और पत्रकार मोहम्मद इरशाद आलम ने छात्रों को मुबारकबाद दी और धन्यवाद भी दिया की इस प्रोग्राम में एलुमनाई को बुलाया. उन्होंने छात्रों से मीडिया में काम करने का अपना अनुभव शेयर किया. इसके अलावा मदरसे का बैकग्राउंड होने के साथ-साथ इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, कमर्शियल मीडिया का जो अनुभव है वह भी छात्रों को बताया.

हमारी सदा ट्रस्ट के संस्पाथक और पत्रकार मोहम्मद इरशाद आलम

इसके अलावा उन्होंने कहा कि हमने इस्लामिक स्टडीज से डिग्री हासिल की है तो हमारी ज़िम्मेदारी दूसरों के मुक़ाबले ज़्यादा बढ़ जाती है. मौजूदा वक़्त में इस्लामिकफोबिया और इस्लाम के ख़िलाफ़ गलत जानकारी का ज़माना है, तो इस मौके पर हम तमाम लोगों को हुनरमंद हो कर उसका जवाब देना होगा, क्योंकि हम इस्लाम और इस्लामिक स्टडीज के नाम से जाने जाते हैं. इसलिए हमारा बहुआयामी दृष्टिकोण (multidimensional approach) होना चाहिए, हम जहां भी जिस इलाके में हों, हमें बढ़चढ़कर अपनी प्रतिनिधित्व दिखानी होगी, ईमानदारी के साथ समाज में 80 फ़ीसदी हमवतनों के साथ मिलकर काम करेंगे तो हालात ज़रूर बदलेगा.

हमारी सदा ट्रस्ट के संस्पाथक और पत्रकार मोहम्मद इरशाद आलम

इसके अलावा डॉ. खुर्शीद अफाक ने बताया कि स्थापना दिवस के अवसर पर तीन दिनों तक चलने वाले इस कार्यक्रम में सुलेख, फोटोग्राफी, प्रदर्शनी, निबंध लेखन, क्विज और ओपन माइक आदि जैसे विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किये जायेंगे. कार्यक्रम की शुरुआत विभाग के छात्र मुहम्मद अतीक द्वारा पवित्र कुरान की तिलावत से हुई.

इसी अवसर पर एलुमनाई मिलन समारोह का भी आयोजन किया गया जिसमें बड़ी संख्या में विभाग के स्नातक डॉ. मुहम्मद सईद अनवर, डॉ. अशरफ अल-कवसर, डॉ. एहतिशामुल हक, डॉ. मुहम्मद वसीम, साहिल आगा, अंज़र अकील, इब्राहिम खान शामिल हुए, एवं नसरीन रफीक आदि ने भाग लिया एवं अपने विचार व्यक्त किये.

Exit mobile version