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जात-पात, धर्म और पार्टी देखकर नहीं, निष्पक्ष हो कर कार्रवाई करे सरकार: जमाअत इस्लामी हिन्द

नई दिल्ली: ‘देश में किसी को भी कानून अपने हाथ में लेने की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए. अपराधी का संबंध किस पार्टी, संस्था या समूह से है यह कोई महत्व नहीं रखता. महत्व यह है कि अपराधी, अपराधी है और उसे दंडित किया जाना चाहिए. सरकार को अपराधी की पहचान करनी चाहिए और सज़ा देने में धर्म या ज़ात पात के आधार पर भेदभाव नहीं करना चाहिए.’

ये बातें जमाअत इस्लामी हिन्द के अमीर (अध्यक्ष) सैयद सआदतुल्लाह हुसैनी ने जमाअत के मुख्यालय में आज प्रेस कॉन्फ्रेंस को सम्बोधित करते हुए कहीं.

एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि सरकार का रवैया बताता है कि आर्थिक नीतियां बनाते समय औद्योगिक घरानों का विशेष ध्यान रखा जाता है जबकि इसे जनहित को ध्यान में रखते हुए बनाया जाना चाहिए.

एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि कई नेता उदयपुर की घटना पर गैरजिम्मेदाराना बयान दे रहे हैं. ऐसे बयान राजनीतिक स्वार्थ के लिए दिए जाते हैं. हालांकि, इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि पूरे देश में नफरत का माहौल बनाया जा रहा है.

रोजगार के मुद्दे पीछे हैं. कुछ मीडिया घराने भी इसमें मदद कर रहे हैं जैसा कि सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी में इसकी तरफ इशारा किया गया है.

एक सवाल के जवाब में जमाअत के अमीर ने कहा कि पैगंबर मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम पर टिप्पणी करने के बाद माफ़ी मांग लेने से माफ़ी नहीं दी जा सकती. अगर ऐसा होता तो हर अपराधी अपराध करके माफी मांग लेगा, फिर न तो जेल की जरूरत रहेगी और न ही अदालत की.

सदा टाइम्स ने जमाअत इस्लामी हिन्द के अमीर (अध्यक्ष) सैयद सआदतुल्लाह हुसैनी से सवाल किया कि उदयपुर की तरह ही 6 दिसंबर 2017 को राजस्थान के राजसमंद में बंगाली मजदूर अफराजुल शेख की कुल्हाड़ी से हत्या कर दी जाती है. हत्या करने वाला शंभूलाल रैगर था लेकिन उस वक़्त के केंद्रीय गृह मंत्रालय एनआईए से जांच कराने से इंकार कर देते हैं जबकि अभी मुसलमानों की जानिब से हुआ है तो सभी लोग जांच में जुट गए हैं. इसको आप कैसे देखते हैं? क्या इस बार धर्म देखकर कार्रवाई की जा रही है?

इस पर अमीर ने जवाब दिया कि जात-पात, धर्म और पार्टी देखकर कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए बल्कि सरकार को चाहिए कि वह निष्पक्ष हो कर कार्रवाई करे ताकि देश में धार्मिक सौहार्द बना रहे और आगे फिर कोई क़ानून अपने हाथ में लेने की कोशिश न करे.

जब एक पत्रकार ने पूछा कि जमाअत इस्लामी हिन्द लोगों के बीच आपसी एकता बनाए रखने के लिए गांव और प्रखंड स्तर पर क्या कर रही है, तो जमाअत के उपाध्यक्ष प्रो. सलीम इंजीनियर ने कहा कि हमारे पास स्थानीय और राज्य स्तर पर एक हजार से अधिक सद्भावना मंच हैं. ‘वे देश के विभिन्न हिस्सों में काम कर रहे हैं. इस मंच से सभी धर्मों के शांतिप्रिय लोग जुड़े हुए हैं जो लगातार विभिन्न धर्मों और पंथ के लोगों के बीच एकता बनाने की कोशिश कर रहे हैं.

उन्होंने उदयपुर त्रासदी की निंदा की. महाराष्ट्र में एमवीए सरकार को गिराने में में खेले गए राजनीतिक खेल का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि वहां दल बदल विरोधी क़ानून और लोगों के जनादेश का मजाक उड़ाया गया. इस तरह के रवैये से लोकतंत्र कमजोर होता है. जिससे पूरे देश को परिणाम भुगतना पड़ता है.

अग्निपथ पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा कि यह योजना कल्याणकारी राज्य होने के लक्ष्य से भटक रही है. योजना में शामिल होने वाले लोग अस्थायी ठेका मजदूर के रूप में होंगे. ऐसा लगता है कि हमारी सरकार पश्चिम से विचार उधार ले रही है.

उन्होंने रांची और प्रयाग राज में पैग़म्बर मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम पर आपत्तिजनक टिप्पणियों के खिलाफ मुसलामानों के प्रदर्शनों पर पुलिस और प्रशासन की ज्यादतियों की कड़ी निंदा की और पूरे मामले की न्यायिक जांच की मांग की.

उनहोंने सामाजिक कार्यकर्ता जावेद मोहम्मद के घर के विध्वंस, गुजरात के पूर्व डीजीपी आर बी श्रीकुमार, तीस्ता सीतलवाड़ और ऑल्ट न्यूज़ के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर की गिरफ्तारी पर खेद जताया और उनकी रिहाई की मांग की. कार्यक्रम का संचालन मीडिया विभाग के उप सचिव अरशद शेख ने किया.

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