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भारतीयों में दूसरे देशों का शहरी बनने का रुझान बढ़ना चिंताजनकः जमात इस्लामी हिंद

नई दिल्ली: जमात इस्लामी हिन्द ने शनिवार को जमात के मुख्यालय में मासिक प्रेस कान्फ्रेंस का आयोजन किया जिसमें जमात इस्लामी हिन्द के उपाध्यक्ष प्रोफेसर सलीम इंजीनियर ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि ‘2014 से दूसरे देशों के शहरी बनने वाले भारतीयों की बढ़ती हुई तादाद इनमें अपने बच्चों के भविष्य, शहरियों के मूल अधिकार की सुरक्षा और देश पर हुकूमत करने के लिए कुछ सिद्धांतों को बरक़रार रखने के हवाले से उन में पाए जाने वाले अविश्वास को भी ज़ाहिर करता है. उनके विश्वास को बहाल करने के लिए सरकार ठोस क़दम उठाये ताकि विदेश में अपने पेशेवर या व्यावसायिक कार्यकाल के बाद भारतीय वापस लौट सकें.’

उन्होंने कहा कि सरकारी संस्थान और एजेंसियां जन कल्याण और न्याय दिलाने के पाबंद होते हैं. उनका सियासी इस्तेमाल लोकतांत्रिक मूल्यों का दमन है. संसद में बिना बहस के जल्दबाज़ी में क़ानून बनाना, असहमति की आवाजें दबाना और अहम मुद्दों पर बातचीत से बचना लोकतांत्रिक तक़ाज़ों के खिलाफ़ है. सरकारी तंत्रों का इस्तेमाल अवाम के हित में होना चाहिए.

उन्होंने कहा कि देश में बढ़ती हुई महंगाई, कर लगाने के लिए जीएसटी में हालिया तब्दीली नें ग़रीब और औसत दर्जे के लागों के लिए जिन्दगी को और भी मुश्किल में डाल दिया है. सरकार को चाहिए कि वह कार्पोरेट घरानों को फायदा पहुंचाने वाले क़ानून बनाने के बजाए आम आदमी को फयदा हो ऐसा क़ानून बनाए. मनरेगा अधिनियम देश में लाखों घरानों का सहारा है. इस समय केंद्र पर 13 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों का 4720 करोड़ रुपये बकाया है. सरकार को चाहिए कि उनकी मज़दूरी तुरंत अदा करे.

संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए जमात इस्लामी हिन्द के दूसरे उपाध्यक्ष एस अमीनुल हसन ने एक सवाल के जवाब में कहा कि हर घर में तिरंगा लहराने का सरकारी सुझाव असल में अवाम के अहम मसलों को मस्तिष्क से हटाने की कोशिश के तौर पर है. तिरंगा की मोहब्बत लोगों के दिलों में बस्ती है और हर नागरिक इसके महत्व को समझता है, तनमन से तिरंगा लहराता है.

सरकार के लिए तिरंगा लहराने के सुझाव से अधिक महत्वपूर्ण और आवश्यकता इस बात की है कि वह महंगाई पर क़ाबू पाने और नौजवानों को रोज़गार देने की संभावनाओं पर गौर करे, मगर सरकार इन समस्याओं से नज़रें बचा रही है.

उन्होंने कहा कि समान नागरिक सहिंता की बात की जाती है, इसके बजाए सरकार को इन्कम कोड की बात करनी चाहिए. देश में ग़रीब की ग़रीबी में दिन-प्रतिदिन इज़ाफा हो रहा है, जबकि अमीर और अमीर होते जा रहे हैं.

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