नई दिल्ली: फिलिस्तीन इन दिनों जंग से बेहाल है. ऐसे में भारत ने फिलिस्तीन के लिए मदद भेजी है. भारत ने फिलिस्तीन के लिए 30 टन मदद का सामान भेजा है. इसमें ज्यादातर मेडिकल का सामान है. हाल ही में भारत ने वादा किया था कि वह फिलिस्तीन के लोगों की मदद करता रहेगा. ताजा मदद उसी कड़ी का हिस्सा है.
भारत की तरफ से भेजी जा रही मदद की इस खेप में कई तरह की दवाइयां शामिल हैं, जिनका मकसद सेहत से मुताल्लिक दिक्कतों को दूर करना है. भारत का फिलिस्तीनी लोगों के हक और भलाई के लिए वकालत करने का एक लंबा इतिहास रहा है. अपनी विदेश नीति के हिस्से के तौर पर भारत ने फिलिस्तीन और इजरायल दोनों के साथ मजबूत संबंध बनाए रखे हैं. मिडिल ईस्ट में अमन के लिए भारत ने आपसी सम्मान और दो-राज्य समाधान की वकालत की है.
फिलिस्तीन को मदद करने का प्रोग्राम स्थानीय फिलिस्तीनी अधिकारियों के सहयोग से किया गया, ताकि स्वास्थ्य सुविधाओं और सबसे ज़्यादा ज़रूरतमंद लोगों को वक्त पर मदद शुरू की जाए. भारतीय प्रतिनिधियों ने उम्मीद जताई कि यह मदद मौजूदा कठिनाइयों के बीच राहत देगी और स्वास्थ्य सेवा संसाधनों को मज़बूत करेगी.
फिलिस्तीन के लिए भारत का लगातार सपोर्ट न केवल मानवीय सहायता के प्रति उसकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है, बल्कि मिडिल ईस्ट में स्थिरता और सहयोग को बढ़ावा देने के उसके रुख को भी दर्शाता है.
आपको बता दें कि इसराइल फिलिस्तीन पर लगातार हमले कर रहा है जिससे गाजा में 42 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हुई है. हमलों में कई लाख लोग बेघर हो गए हैं. यहां पर आम लोगों के लिए खाना-पानी जैसी जरूरी चीजों की कमी है. इसी के साथ यहां डॉक्टर और दवाओं की भी भारी कमी है. इससे पहले भी फिलिस्तीन की कई देशों ने मदद की है. फिलिस्तीन में बीते एक साल से जंग जारी है.
दरअसल भारत की ओर से भेजे जाने वाली राहत सामग्री पहले मिस्र भेजी जाती हैं जहां से रफाह बॉर्डर के जरिए यह सामान UN की एजेंसियों को पहुंचाया जाता है जो गाजा के लोगों में इन सामग्रियों का वितरण करते हैं.
हालांकि हाल ही में UN की ओर से चिंता जताई गई थी कि इसराइल जरूरी मेडिकल और फूड सप्लाई के ट्रकों को रोक रहा है जिससे गाजा के लोगों पर भूखे मरने की नौबत तक आ गई है. वहीं मेडिकल इक्विपमेंट की कमी के कारण इसराइली हमलों में घायल होने वाले लोगों के इलाज में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है.
वहीं दूसरी तरफ इसराइल की संसद ने सोमवार को एक कानून पारित किया है. इसके बाद संयुक्त राष्ट्र राहत एजेंसी यूएनआरडब्ल्यूए (UNRWA) को देश के अंदर काम करने पर रोक लग गई है. इसके बाद गाजा में हालात गंभीर हो सकते हैं और लोग भूख से मारे जा सकते हैं.
कानून का मसौदा तैयार करने वाले नेसेटे मेंबर्स ने इस कानून को पास होने के पीछे यूएनआरडब्ल्यूए के मेंबर्स का हमास के साथ शामिल होने का दावा किया है. फिलिस्तीनी आपातकालीन सेवा ने कहा कि यह मतदान उसी दिन हुआ, जिस दिन इसराइली टैंकों ने उत्तरी गाजा के दो शहरों और एक शरणार्थी कैंप्स में गहराई तक एंट्री ली थी.
इसराइली सेना ने कहा कि सैनिकों ने जबालिया कैंप में कमाल अदवान अस्पताल में छापेमारी करके लगभग 100 संदिग्ध हमास आतंकवादियों को पकड़ा है. हालांकि, हमास और चिकित्सकों ने अस्पताल में किसी भी आतंकवादी की मौजूदगी से इनकार किया है. गाजा हेल्थ मिनिस्ट्री ने कहा है कि सोमवार को हुई इसराइली एयर स्ट्राइक में 19 लोगों की मौत हुई है.
फिलिस्तीनी नागरिक आपातकालीन सेवा ने कहा कि जबालिया, बेत लाहिया और बेत हनून में लगभग 100,000 लोग मेडिकल या खाद्य आपूर्ति के बिना फंसे हुए हैं. रॉयटर्स स्वतंत्र रूप से तादाद की पुष्टि नहीं कर सका.