कोर्ट ने बाबा रामदेव के खिलाफ गैर-जमानती वारंट किया जारी, जानें क्या है पूरा मामला?

Baba Ramdev: केरल के पलक्कड़ की एक अदालत ने योग गुरु बाबा रामदेव और पतंजलि आयुर्वेद के सह-संस्थापक आचार्य बालकृष्ण के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया है. अदालत ने दोनों के खिलाफ गैर-जमानती वारंट भ्रामक चिकित्सा विज्ञापनों से संबंधित एक आपराधिक मामले में जारी किया है.

15 फरवरी को हाजिर होने के लिए गैर- जमानती वारंट जारी

लाइव लॉ की एक रिपोर्ट के अनुसार, केरल के ड्रग इंस्पेक्टर द्वारा दिव्य फार्मेसी के खिलाफ कथित भ्रामक मेडिकल विज्ञापनों को लेकर दायर आपराधिक मामले में वे गैर-हाजिर रहे. इसके बाद कोर्ट ने 15 फरवरी को हाजिर होने के लिए इनके खिलाफ गैर- जमानती वारंट जारी किया है.

कोर्ट में हाजिर नहीं होने के कारण गैर-जमानती वारंट जारी

पलक्कड़ के फर्स्ट क्लास ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट ने आरोपियों को 1 फरवरी को हाजिर होने के लिए जमानती वारंट जारी किए थे. जहां 1 फरवरी को हाजिर नहीं होने के कारण इनके खिलाफ अदालत ने अब गैर-जमानती वारंट जारी किए हैं.

किन धाराओं में हैं मामले दर्ज?

आपको बता दें कि दिव्य फार्मेसी पतंजलि आयुर्वेद की संबद्ध कंपनी है. ड्रग इंस्पेक्टर ने औषधि एवं जादुई उपचार (आपत्तिजनक विज्ञापन) अधिनियम, 1954 की धारा 3, 3 (बी) और 3 (डी) के तहत शिकायत दर्ज की है.

इससे पहले बाबा रामदेव के खिलाफ अवमानना ​​नोटिस

इस केस में दिव्य फार्मेसी पहले आरोपी है, आचार्य बालकृष्ण दूसरे आरोपी हैं और बाबा रामदेव मामले में तीसरे आरोपी हैं. पतंजलि आयुर्वेद के उत्पाद एलोपैथी जैसी आधुनिक मेडिकल प्रणालियों के खिलाफ भ्रामक विज्ञापन प्रकाशित करने के मामले में सुप्रीम कोर्ट की जांच के दायरे में थे. इसके बाद में कोर्ट ने पतंजलि आयुर्वेद को ऐसे भ्रामक विज्ञापन प्रकाशित करने के लिए अवमानना ​​नोटिस जारी किया था, जो एलोपैथी का अपमान करते हैं.

हालांकि बाद में सुप्रीम कोर्ट ने रामदेव, आचार्य बालकृष्ण और पतंजलि आयुर्वेद द्वारा जारी सार्वजनिक माफ़ी को स्वीकार करते हुए अवमानना ​​के मामले को बंद कर दिया.

क्या कहती हैं यह धाराएं?

धारा 3 कुछ बीमारियों और विकारों के उपचार के लिए कुछ दवाओं के विज्ञापन को प्रतिबंधित करती है. धारा 3 (बी) यौन सुख के लिए मनुष्यों की क्षमता के रखरखाव या सुधार का दावा करने वाली दवाओं के विज्ञापनों को प्रतिबंधित करती है.

धारा 3 (डी) उन दवाओं के विज्ञापनों को प्रतिबंधित करती है जो अधिनियम के तहत बनाए गए नियमों में प्रदान की गई किसी भी बीमारी, विकार या बीमारियों की स्थिति के निदान, इलाज, उपचार या रोकथाम का दावा करती हैं.

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