SADAA Times

Sambhal Violence: अब मुसलमानों के घरों में ढूंढे जाएंगे शिवलिंग, संभल हिंसा पर महबूबा मुफ्ती का बयान

Mehbooba Mufti sambhal_SADAA Times

फोटो साभार: सोशल मीडिया

संभल: उत्तर प्रदेश के संभल का विवाद काफी बढ़ता दिख रहा है. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया है, जिसमें कहा गया है कि अभी निचली अदालतें इस मामले में कोई आदेश न दें. इसके साथ ही सर्वे रिपोर्ट को पब्लिक करने पर भी रोक लगाई गई है. इस सब के बीच कश्मीर की पूर्व सीएम महबूबा मुफ्ती का संभल विवाद को लेकर बयान आया है. उन्होंने इस मामले का जिम्मेदार पूर्व सीजेआई को ठहराया है.

ज़ी सलाम की खबर के अनुसार, महबूबा मुफ्ती ने कहा कि इसके लिए पूर्व चीफ जस्टिस जिम्मेदार हैं जिन्होनें एक बुरा काम किया कि ज्ञानवापी मस्जिद पर यह फैसला दिया कि आप सर्वे कर सकते हैं जहां कहीं से भी शिकायत आए. जबकि 1991 का सुप्रीम कोर्ट का अपना एक जजमेंट है कि जो 1947 में हमारे धार्मिक स्थान हैं उसकी नोइयत बदलनी नही चाहिए वैसी ही रहनी चाहिए. लेकिन, चीफ जस्टिस साहब ने एक ऐसा जजमेंट दे दिया कि पहले मस्जिदों में शिवलिंग ढूढे जा रहे हैं, अब दरगाह में सर्वे किए जा रहे हैं और अब अजमेर शरीफ जैसी दरगाह में भी शिवलिंग ढूंढें जा रहे हैं. जहां, काफी संख्या में हिंदू लोग जाते हैं और यह 800 साल पुरानी दरगाह है.

उन्होनें आगे कहा कि अब लगता है कि मुसलमानों के घर में भी शिवलिंग ढूंढें जायेंगे. उन्होंने कहा कि यह मुल्क को तबाही की और ले जा रहा है और बंटवारे की ओर ले जा रहा है. उन्होंने कहा कि जो भारत की पहचान जवाहर लाल नेहरू, गांधी ने जो बुनियाद रखी थी उसको हिलाया जा रहा है.

इससे एक दिन पहले महबूबा मुफ्ती ने संभल मामले में ट्वीट करते हुए लिखा कि भारत के एक पूर्व मुख्य न्यायाधीश की बदौलत अल्पसंख्यकों के धार्मिक स्थलों के बारे में विवादास्पद बहस छिड़ गई है. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बावजूद कि यथास्थिति 1947 जैसी ही बनी रहनी चाहिए, उनके फैसले ने इन जगहों के सर्वे का रास्ता खोल दिया है.

इसके साथ ही महबूबा मुफ्ती ने कहा इस फैसले की वजह से संभावित तौर पर हिंदुओं और मुसलमानों के बीच तनाव बढ़ सकता है. उत्तर प्रदेश के संभल में हाल ही में हुई हिंसा इस फैसला का प्रत्यक्ष नतीजा है. पहले मस्जिदों और अब अजमेर शरीफ जैसी मुस्लिम धार्मिक स्थलों को निशाना बनाया जा रहा है, जिससे और ज्यादा खून खराबा हो सकता है. सवाल यह है कि बंटवारे के दिनों की याद दिलाने वाली इस सांप्रदायिक हिंसा को जारी रखने की जिम्मेदारी कौन लेगा?

बता दें इस मामले में आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई थी. जिसमें, टॉप कोर्ट ने निचली अदालतें को कोई दूसरा आदेश देने से मना किया है. मुस्लिम पक्ष ने 19 नवंबर के आदेश को रद्द करने की गुजारिश की थी. हालांकि, कोर्ट ने ऐसा करने से इनकार कर दिया और कहा कि जब तक इलाहाबाद कोर्ट का कोई फैसला नहीं आता तब तक इस मामले में ट्रायल कोर्ट के प्रोसेस को रोक दिया जाए.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मुस्लिम पक्ष के पास हाईकोर्ट में याचिका दायर करने की पूरी आज़ादी है. अगर वह तीन दिन के अंदर याचिका दायर करते हैं, तो मामला हाईकोर्ट में लिस्टेड किया जाएगा. कोर्ट ने यह भी आदेश दिया कि जब तक इलाहाबाद हाई कोर्ट का निर्देश नहीं आता, तब तक ट्रायल कोर्ट की प्रक्रिया को रोक दिया जाए.

Exit mobile version