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संभल शाही मस्जिद कमेटी ने ASI से रमजान से पहले साफ-सफाई की मांग की, डीएम ने दिया यह जवाब

Sambhal Masjid

Sambhal Masjid (File Photo)

Sambhal Masjid Case: उत्तर प्रदेश के संभल की शाही मस्जिद पिछले कई समय से विवादों के घेरे में है. पिछले साल नवंबर में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने इस मस्जिद का सर्वे किया था. इसके बाद से ही शाही मस्जिद की देखरेख ASI के नेतृत्व में हो रही है. इसी बीच शाही जामा मस्जिद की सदर इंतेजामिया कमेटी के अध्यक्ष जफर अली ने ASI को पत्र लिखकर रमजान से पहले मस्जिद की साफ- सफाई, रंगाई- पुताई और सजावट की इजाजत मांगी थी. जिस पर संभल प्रशासन ने आज यानी कि सोमवार, 24 फरवरी को जवाब दिया है.

इंतेजामिया कमेटी ने ASI से यह मांग की है

शाही जामा मस्जिद की सदर इंतेजामिया कमेटी ने एएसआई (ASI) को पत्र लिखते हुए कहा था कि संभल की जामा मस्जिद में पवित्र महीने रमाजान में कई दशकों से साफ- सफाई, रंगाई- पुताई और सजावट का काम होता आया है. जहां यह सब काम करवाने के लिए पहले कभी इजाजत नहीं मांगी गई थी. लेकिन 24 नवंबर 2024 को जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान हिंसा हो जाने के कारण जो स्थिति उतपन्न हुई है, इसके बाद शहर में अमन शांति बरकरार रहे इस कारण यह इजाजत मांगी जा रही है.

इंतेजामिया कमेटी के पत्र पर संभल के डीएम ने कहा

सदर इंतेजामिया कमेटी के पत्र पर संभल के डीएम ने कहा, “ASI को फैसला लेना है. हमने कहा है कि जब तक ASI इजाजत नहीं देता, तब तक किसी को भी मस्जिद में किसी भी तरह से छेड़छाड़ करने का अधिकार नहीं है. मुझे नहीं लगता कि इस तरह के विवादित ढांचे को रंगने की कोई जरूरत है. फिर भी, ASI को निर्णय लेना चाहिए. हमारी तरफ से ऐसा कुछ नहीं है.”

संभल की शाही मस्जिद विवादों में क्यों?

दरअसल मुगलकालीन शाही मस्जिद पर हिंदु पक्ष के लोगों ने दावा किया था कि यह स्थल हरिहर मंदिर था. इसके बाद स्थानीय कोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी, दिसके बाद कोर्ट ने मस्जिद के सर्वेक्षण का आदेश दिया था. जहां सर्वेक्षण के दौरान हिंसा की स्थित उतपन्न हो गई थी.

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