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सभी नागरिकों को प्रदूषण मुक्त जीवन जीने का अधिकार, प्रदूषण से मौलिक अधिकारों का हनन: सुप्रीम कोर्ट

उच्चतम न्यायालय

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नई दिल्ली: दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण के मसले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केंद्र, पंजाब और हरियाणा सरकार को याद रखना चाहिए कि संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत सभी नागरिकों को प्रदूषण मुक्त जीवन जीने का अधिकार है।

प्रदूषण पर लगाम न लगने के चलते मौलिक अधिकार का हनन हो रहा है। कोर्ट में भी ये सुनवाई नागरिकों के इस अधिकार को सुनिश्चित करने के लिए हो रही है। सरकार की जवाबदेही बनती है कि कैसे वो प्रदूषण मुक्त वातावरण देकर नागरिकों के इस मौलिक अधिकार की रक्षा करें।

पाञ्चजन्य खबर के अनुसार, सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि पराली जलाने वालों पर दोनों राज्यों में चुनिंदा कार्रवाई हो रही है। कुछ केस में एफआईआर दर्ज की गई है तो कुछ में जुर्माना लगाकर छोड़ दिया जा रहा है। जो जुर्माना वसूला जा रहा है, वो भी मामूली है।

कोर्ट ने कहा कि दोनों ही राज्यों में पराली जलाने वालों के खिलाफ सख्त दंडात्मक कार्रवाई नहीं हो रही है। साफ है कि इसके पीछे राजनीतिक वजह है। मामूली जुर्माना लगाकर जिस तरह से लोगों को छोड़ा जा रहा है, आप पराली जलाने वाले को लाइसेंस दे रहे हैं कि पराली जलाएं और इतना जुर्माना देकर बच जाएं।

इस मामले में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर किया है। आयोग ने कहा है कि 15 सितंबर से 17 अक्टूबर के बीच पराली जलाने की पंजाब में 1289 और हरियाणा में 601 घटनाएं हुई हैं।

आयोग ने कहा है कि पंजाब और हरियाणा की सरकारें पराली जलाने पर रोक लगाने में विफल रही हैं। आयोग ने दोनों राज्यों के अधिकारियों को नोटिस जारी किया है।

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