नई दिल्ली: ईद-उल-फ़ित्र कल यानी मंगलवार को देशभर और अन्य देशों में जोश व खरोश के साथ मनाई जाएगी. सोमवार शाम शव्वाल का चांद दिखाई दिया. जामा मस्जिद के शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी, लखनऊ ईश बाग ईदगाह कमेटी मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली, शरीयत बिहार झारखंड, जमात अहले हदीस हिंद, जमाते इस्लामी हिन्द और अन्य हिलाल कमेटियों ने पहले ही घोषणा कर दी है कि 3 मई को ईद-उल-फ़ित्र मनाई जाएगी.
ईद का मतलब खुशी के होते हैं, ईद यानी खुशी का दिन. वहीं, ईद का एक मतलब बार-बार लौट के आना भी होता है क्योंकि ईद-उल-फ़ित्र हर साल लौट के आता है, इसलिए इसे ईद कहा जाता है.
ईद-उल-फ़ित्र वास्तव में कई खुशियों का संगम है. एक रमज़ान के रोज़ों की ख़ुशी, दूसरी क़यामुल्लैल की ख़ुशी, तीसरी क़ुरआन की तिलावत, चौथी अल्लाह की तरफ से रोज़ा रखने वालों के लिए रहमत व माफ़ी और जहन्नम की अज़ाब से आज़ादी की खुशी. कुल मिलकर रमजान जैसी नेमत से नवाज़ने की ख़ुशी. यही कारण है कि इसे मुसलमानों के लिए ‘ख़ुशी का दिन’ क़रार दिया गया है.
नमाज़े ईद का सबूत सही हदीसों से मिलता है. एहनाफ के नज़दीक ईद की नमाज़ हर उस व्यक्ति पर फ़र्ज़ है जिस पर जुमा फ़र्ज़ है. दूसरे अइम्मा के नज़दीक फर्ज़े किफ़ाया है और बाज़ के नज़दीक सुन्नते मोकिदा है. नमाज़े ईद बिना अज़ान और इक़ामत के पढ़ना हदीस से साबित है. ईद की नमाज का समय सुबह से लेकर दोपहर तक है. ईद-उल-फ़ित्र की नमाज़ देर से पढ़ना और ईद उल अजहा की नमाज़ जल्दी पढ़ना मुस्तहब है.
ईद की नमाज के बाद इमाम का खुत्बा देना और नमाज़ियों के लिए खुत्बा सुनना सुन्नत है. आबादी के बाहर खुले मैदान में ईद की नमाज अदा करना सुन्नत है. हालांकि बारिश, हवा या तूफान के कारण मस्जिद में ईद की नमाज़ पढ़ी जा सकती है. ईद की नमाज से पहले खाना-पीना सुन्नत है.