Umar Khalid 1600 days In Jail: मानवाधिकार कार्यकर्ता उमर खालिद को गुरुवार, 30 जनवरी को दिल्ली की तिहाड़ जेल में बिताए हुए 1600 दिन हो गए. इस पर देशभर प्रसिद्ध कलाकारों, लेखकों, शिक्षाविदों और कार्यकर्ताओं ने पत्र लिखते हुए उमर खालिद की रिहाई की मांग की. इसके साथ ही उमर खालिद जैसे अन्य सभी समान नागरिकता कार्यकर्ताओं की रिहाई की भी मांग की.
पत्र में कहा गया कि आज यानी 30 जनवरी 2025 को इतिहासकार और एक्टिविस्ट उमर खालिद का दिल्ली की तिहाड़ जेल में बिताया 1600वां दिन है. यह दिन एक हिंदुत्व कट्टरपंथी के हाथों मोहनदास कर्मचंद गांधी की हत्या की 77वीं वर्षगांठ भी है.
इन लोगों ने उमर खालिद की रिहाई की मांग की
प्रसिद्ध इतिहासकार इरफान हबीब, रोमिला थापर, तनिका सरकार और रामचंद्र गुहा, उपन्यासकार अमिताव घोष, अनुभवी अभिनेता नसीरुद्दीन शाह और विद्वान अकील बिलग्रामी और गायत्री चक्रवर्ती स्पिवक, महात्मा गांधी के पोते और लेखक राजमोहन गांधी, सिविल राइट एक्टिविस्ट आनंद तेलतुंबडे ने उमर खालिद की रिहाई की मांग की.
Today Umar Khalid completed 1600 days in jail without trial. 160 writers, academics, artists, activists write an open letter demanding that Umar and all equal citizenship activists be released. The list includes renowned novelist Amitav Ghosh, Naseeruddin Shah, Ramchandra Guha. pic.twitter.com/8oiZXzGqkv
— Kaushik Raj (@kaushikrj6) January 30, 2025
‘बेशर्म तरीके से झूठा आरोप लगाया गया’
देश के इन प्रमुख लोगों द्वारा लिखे पत्र में कहा गया है कि उमर खालिद जो, बहुलवाद, धर्मनिरपेक्षता और संवैधानिक मूल्यों की वकालत करने वाले अपने शानदार भाषणों के लिए जाने जाते हैं. उनपर हिंसा भड़काने की साजिश रचने का बेहद ही बेशर्म तरीके से झूठा आरोप लगाया गया है.
इन्होंने कहा कि बार-बार जमानत से इनकार करना और बिना सुनवाई के लंबे समय तक जेल में रहना हकीकत में उमर खालिद और इस मामले के अन्य लोगों के लिए बेहद ही चिंताजनक है.
‘हिंसा भड़काने वालों के बजाय कार्यकर्ताओं का निशाना बनाया गया’
इन्होंने कहा कि उमर खालिद को फरवरी 2020 के दिल्ली दंगों के आरोप में कठोर यूएपीए (UAPA) के तहत 13 सितंबर, 2020 को गिरफ्तार किया गया था. इस दंगे में जानमाल का बहुत नुकसान हुआ था. इस घटना में 53 लोगों की मौत हुई थी, जिसमें 38 मुसलमान शामिल है. हालांकि हिंसा भड़काने वालों को जवाबदेह ठहराने के बजाय उन कार्यकर्ताओं का निशाना बनाया गया है, जिन्होंने शांतिपूर्वक तरीके से सीएए (CAA) का विरोध किया था.
इन लोगों के बारें में भी किया जिक्र
इस पत्र में इन्होंने उमर खालिद के साथ- साथ शरजील इमाम, खालिद सैफी, गुलफिशा फातिमा, मीरान हैदर, अतहर खान, शिफा उर रहमान के बारे में भी बात की. इन्होंने गुलफिशा फातिमा के बारे में कहा कि हमें दुख होता है कि क प्रतिभाशाली युवा छात्र, कार्यकर्ता और इतिहास में रुचि रखने वाली जेल में अपना पांचवां साल बिता रही है.