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मुजफ्फरनगर की 106 साल पुरानी मस्जिद ‘शत्रु संपत्ति’ घोषित

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फोटो साभार: सोशल मीडिया

मुजफ्फरनगर: उत्तर प्रदेश में मस्जिदों को लेकर विवाद लगातार बढ़ता ही जा रहा है. संभल की शाही जामा मस्जिद के सर्वे के बाद अब प्रशासन ने मुजफ्फरनगर में 106 साल पुरानी मस्जिद को ‘शत्रु संपत्ति’ घोषित कर दिया है.

मुजफ्फरनगर रेलवे स्टेशन के ठीक सामने बनी एक मस्जिद को लेकर हिंदू शक्ति संगठन ने डेढ़ साल पहले मुजफ्फरनगर प्रशासन से लेकर राजधानी लखनऊ तक शिकायत करते हुए जांच की मांग की थी.

जिसके बाद प्रशासन ने जांच के लिए एक टीम गठित की और टीम ने अपनी जांच में रेलवे स्टेशन के सामने बनी इस मस्जिद को ‘शत्रु संपत्ति’ बताया तथा गृह मंत्रालय ने जांच के आधार पर इस मस्जिद को ‘शत्रु संपत्ति’ घोषित कर दिया है.

हालांकि मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह मस्जिद पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री लियाक़त अली के पिता रुस्तम अली के नाम पर दर्ज है. आरोप है कि 1918 में यानी 106 साल पहले इस जमीन पर कब्जा कर वक्फ बोर्ड ने इस प्रोपर्टी को अपना हिस्सा बताते हुए मस्जिद बनवाई थी.

‘शत्रु संपत्ति’ उन लोगों की संपत्ति होती है जो युद्ध या तनाव के बीच भारत छोड़कर पाकिस्तान या चीन जैसे देशों में चले गए थे.

ये वे लोग थे जिन्हें भारत के लिए खतरा माना जाता था. इसलिए इन लोगों की संपत्तियों को भारत के लिए संभावित खतरा माना जाता था तथा सरकार इन संपत्तियों का सही इस्तेमाल करके देश के विकास में उपयोग करती है.

वहीं इस संपत्ति पर दुकान करने वाले मोहम्मद अतहर का कहना है कि इस जमीन का मामला है कि ‘शत्रु संपत्ति’ वाला रुस्तम अली खान की जमीन थी जो उन्होंने वक्फ की थी. विपक्ष के जिस मुकदमे पर फैसला आया, वो यह है कि ये लियाकत अली खान की संपत्ति है लेकिन ऐसा नहीं है. यह ‘शत्रु संपत्ति’ बिल्कुल भी नहीं है. यह रुस्तम अली खान ने वक्फ की थी. उनकी यहीं वफात हुई है और इस तरह का कोई मामला इसमें नहीं है.

उन्होंने आगे कहा कि यह लियाकत के पिताजी की संपत्ति थी, जिन्होंने वक्फ के नाम की थी. हमारे पास जितने एविडेंस हो सकते हैं, वह सब हमने पेश किए हैं और हमने सरकार से अच्छे फैसले की उम्मीद है. हम चाहते हैं कि सरकार दोबारा इस पर गौर करे और इस मामले में सही फैसला करे. गौरतलब है कि देश के बंटवारे के बाद पाकिस्तान चले गए लोगों की भारत में छोड़ी गई संपत्ति को ही ‘शत्रु संपत्ति’ कहा जाता है.

वहीं इस संपत्ति के शिकायतकर्ता राष्ट्रीय हिंदू शक्ति संगठन के संयोजक संजय अरोड़ा का कहना है कि यह डबल स्वाभिमान का दिन है. हमने डेढ़ वर्ष से रेलवे स्टेशन के जो सामने संपत्ति थी उसको ‘शत्रु संपत्ति’ घोषित करने के लिए हमने मांग की थी वह मांग हमारी पूरी हो गई है. इस संपत्ति को 1918 से अपने कब्जे में लेकर उस पर मस्जिद और उसमें दुकान भी बनाई गई थी. हमने सरकार से यह मांग की थी कि यह शत्रु संपत्ति है तो इस पर एक कमेटी बनी थी.

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