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संभल हिंसा पर जियाउर्रहमान बर्क बोले, वसूली उन लोगों से होनी चाहिए, जिन्होंने इसे आग में झोंका

Sambhal Violence_Zia Ur Rehman Barq MP

फोटो साभार: सोशल मीडिया

संभल: समाजवादी पार्टी के सांसद जियाउर्रहमान बर्क ने संभल हिंसा को लेकर गुरुवार को कहा कि जिन लोगों ने इस हिंसा को अंजाम दिया है, नुकसान की भरपाई भी उन्हीं लोगें से होनी चाहिए।

उन्होंने कहा, “संभल में जो स्थिति उत्पन्न हुई, उसमें पहले शांतिपूर्ण वातावरण था, जहां विभिन्न धर्मों के लोग मिल जुलकर रहते थे। लेकिन दुर्भाग्यवश, एक आदेश का पालन करने में प्रशासन ने जल्दबाजी दिखाई, जिससे माहौल तनावपूर्ण हो गया । कोर्ट का आदेश था कि कुछ सर्वे किए जाएं, और प्रशासन ने इसे बहुत जल्द और बिना पर्याप्त सोच-विचार के लागू कर दिया। इस निर्णय के परिणामस्वरूप जब लोग यह जानने की कोशिश कर रहे थे कि सर्वे क्यों किया जा रहा है, तो उन्हें इसका उचित और सटीक जवाब नहीं मिला। इसके बजाय, उन्हें हिंसा का सामना करना पड़ा।”

जनता से रिश्ता खबर के अनुसार, उन्होंने कहा, “प्रशासन की कार्यप्रणाली पर प्रश्न चिन्ह उठता है, क्योंकि उन्होंने बिना समझे और बिना शांति बनाए रखे मामले को सुलझाने की कोशिश की। लोगों को बातचीत का मौका नहीं दिया गया, बल्कि हिंसात्मक तरीके से उन पर दबाव बनाया गया। वीडियो और तस्वीरों के माध्यम से यह तथ्य सामने आया कि पुलिस अधिकारियों ने गोलीबारी की, जबकि पहले उन्होंने ऐसा करने से इनकार कर दिया था।”

उन्होंने कहा, “जब प्रशासन की कार्रवाई पर सवाल उठे और वीडियो वायरल होने लगे, तो अधिकारियों ने अपने बयान बदलने की कोशिश की। उन्होंने पहले गोलीबारी से इनकार किया और बाद में इसे एक आपसी लड़ाई का रूप दे दिया, जिससे और भी भ्रम पैदा हुआ। इसके बाद, स्थानीय अधिकार‍ियों ने यह कहा कि अगर जनता हम पर हमला करेगी, तो हमें भी जवाब देना होगा।”

उन्होंने कहा, “यह स्थिति समाज में विश्वास की कमी और प्रशासन के प्रति असंतोष को दर्शाती है। ऐसी घटनाओं के बाद, लोगों को यह विश्वास नहीं होता कि वे अपनी समस्याओं को शांतिपूर्ण तरीके से सुलझा सकते हैं। इसके साथ ही, सरकारी और निजी संपत्ति का भी नुकसान हुआ, और प्रशासन की जिम्मेदारी है कि वह नुकसान की भरपाई करे। अगर अधिकारियों ने कानून का उल्लंघन किया है, तो उन्हें इस नुकसान की जिम्मेदारी उठानी चाहिए।”

उन्होंने कहा, “इस तरह की घटनाओं से समाज में अशांति फैलने का खतरा होता है, और इसलिए यह जरूरी है कि सरकार और प्रशासन ऐसी स्थितियों में अधिक संवेदनशीलता और सतर्कता बरते। इस मुद्दे को सर्वोच्च न्यायालय तक ले जाने की जरूरत है, ताकि ऐसी घटनाओं पर रोक लगाई जा सके और प्रदेश व देश का माहौल शांतिपूर्ण और समृद्ध बने।”

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