Loudspeaker in Mosque: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में एक मस्जिद में लाउडस्पीकर लगाने के लिए अफसरों से इजाजात दिलाने की मांग करने वाली रिट याचिका को खारिज कर दिया.
‘लाउडस्पीकर का उपयोग अधिकार के रूप में नहीं’
कोर्ट ने कहा कि धार्मिक स्थल मुख्य रूप से ईश्वर की पूजा (इबादत) के लिए हैं. इसलिए लाउडस्पीकर के उपयोग को अधिकार के रूप में नहीं माना जा सकता है. और खासकर तब, जब इसका उपयोग अक्सर वहां रहने वाले लोगों के लिए परेशानी का कारण बनता है.
रिट याचिका पीलीभीत के मुख्तियार अहमद नामक व्यक्ति द्वारा दायर की गई थी. और इस याचिका पर जस्टिस अश्विनी कुमार मिश्रा और जस्टिस डोनाडी रमेश की बैंच ने सुनवाई की.
लाइव लॉ की एक रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर प्रदेश सरकार के वकील ने इस आधार पर रिट याचिका की स्वीकार्यता पर ऐतराज जताया कि याचिकाकर्ता न तो मुतवल्ली (देखभाल करने वाला) है और न ही मस्जिद उसकी है.
जहां राज्य की आपत्ति में तथ्य पाते हुए न्यायालय ने कहा कि याचिकाकर्ता के पास रिट याचिका दायर करने का अधिकार नहीं है.
‘धार्मिक स्थल ईश्वर की इबादत के लिए’
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस बात पर भी जोर दिया कि चूंकि धार्मिक स्थल ईश्वर की पूजा- अर्चना के लिए होते हैं, इसलिए लाउडस्पीकर के इस्तेमाल को अधिकार के रूप में नहीं माना जा सकता. इसी आधार पर रिट याचिका खारिज कर दी गई.
कई मस्जिदों से लाउडस्पीकर हटवाए गए थे
बताते चलें कि पिछले साल दिसंबर 2024 में उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद जिले में पुलिस ने कई मस्जिदों से लाउडस्पीकर हटावा दिए थे. फिरोजाबाद के एसपी रविशंकर प्रसाद ने तभी कहा था कि मस्जिद में लाउडस्पीकर के साउंड की कई शिकयतें मिली थीं, इसके बाद यह फैसला लिया गया था.