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धार्मिक हिंसा को बढ़ावा देने वालों को जमाअत-ए-इस्लामी हिंद के VP सलीम इंजीनियर का पैग़ाम

Mohammad Saleem Engineer- V.P JIH

Mohammad Saleem Engineer- V.P JIH

‘भारत के एक इंच जमीन पर किसी मुसलमान का कब्जा नहीं है’, ‘वक्फ बोर्ड की कोई ज़मीन नहीं है भारत में’, ‘मुसलमान पाकिस्तान लेकर के अलग हो गए उसके बाद भी हमारी छाती पर चढ़े हुए हैं.’
वर्तमान दौर में इस तरह की बातें हमेशा कई धार्मिक गुरु करते हुए नज़र आते हैं.

इस तरह के धार्मिक हिंसा फैलाने वाले बयानों पर जमाअत-ए-इस्लामी हिंद के उप अध्यक्ष प्रोफेसर इंजीनियर मोहम्मद सलीम ने कहा कि जो लोग इस तरह की बातें करते हैं वह दरअसल इस मुल्क के खैरख्वाह नहीं है वह इस मुल्क के लिए बहुत बड़ा खतरा है. यह लोग इस मुल्क के आइडिया ऑफ इंडिया के फाउंडेशन को डिमोलिश करने का काम कर रहे हैं. इसके साथ ही उन्होंने धर्म का असल मतलब भी बताया.

‘धर्म लोगों को आपस में जोड़ने का काम करता है’

इंजीनियर मोहम्मद सलीम ने आगे कहा, “सही मायने में जो धर्म गुरु है और जो लोग धर्म के नाम पर या धर्म की पहचान के साथ इस तरह की बातें कर रहे हैं यह धर्म के खिलाफ है. धर्म तो वह है जो लोगों को आपस में जोड़ने का काम करता है, लोगों को अख़लाक सिखाता है, लोगों में मोरालिटी लाता है, इंसाफ़ लाना चाहता है.”

1947 में मुल्क आजाद हुआ और अफसोस की बात कि मुल्क तकसीम भी हुआ. मुसलमान बड़ी तादाद में यहां इसलिए रहे क्योंकि यह सबका मुल्क है. सबको बराबर का दर्जा हमारा कांस्टिट्यूशन देता है.

‘नफरत की आवाजों के खिलाफ आवाज उठानी होगी’

उन्होंने आगे कहा कि हुकूमत को यहां की लॉ एंड फोर्सिंग एजेंसी और सोशल इंस्टीट्यूशन को और जो सही मायने में अच्छे धार्मिक लीडर्स हैं उनको आगे आकर इस तरह के लोगों को रोकना चाहिए.और कहना चाहिए कि यह पुरे मुल्क की नुमाइंदगी नहीं करते. इनकी तादाद बहुत ज्यादा नहीं है पर इनकी वजह से हमारे मुल्क की छवि खराब हो रही है. साथ ही दुनिया में भी हमारे मुल्क की छवि गलत बन रही है.
इसके लिए इस मुल्क में जो अमन और इंसाफ पसंद लोग हैं उनको चुप रहने के बजाय ऐसी नफरत की आवाजों के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए.

देश के अमन की दिशा में जमाअत-ए-इस्लामी हिंद का बेहतरीन कदम

इन सबके साथ ही जमाअत-ए-इस्लामी हिंद भी धार्मिक नेताओं का एक मंच “धार्मिक जन मोर्चा” के साथ लगभग दो दशकों से समुदायों के बीच सांप्रदायिक सद्भाव, आपसी सम्मान और भाईचारे को मजबूत करने के लिए काम कर रहा है.
यह मंच प्राकृतिक आपदा, सांप्रदायिक तनाव, गलत सूचना, महिला सुरक्षा, भारत को शांति से रहने के लिए सभी मोर्चों पर काम कर रहा है.

“धार्मिक जन मोर्चा” के एक सभा में जमाअत-ए-इस्लामी हिंद के वाइस प्रसिडेंट प्रोफेसर इंजीनियर मोहम्मद सलीम ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की मौजूदगी में कहा कि हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने ईश्वर के संदेश को आम किया कि तमाम इंसान बराबर है कोई बड़ा- छोटा, ऊंचा- नीचा नहीं है. हर इंसान की इज्जत और सम्मान होनी चाहिए. धर्म जाति लिंग भाषा क्षेत्र या विचारधारा किसी भी आधार पर किसी के अधिकार कम या ज्यादा नहीं हो सकते.

यह एक-दूसरे के धर्मों और संस्कृतियों की गहरी समझ को बढ़ावा देने, पारदर्शिता को बढ़ावा देने, गलतफहमी को मिटाने और संविधान में दिए गए अधिकारों की रक्षा करने के लिए अंतर- धार्मिक संवाद और अंतर- सामुदायिक बैठकों को बढ़ावा देने का काम करता है.

“सद्भावना मंच” भी एकता के लिए कर रही है काम

इसके अलावा जमाअत-ए-इस्लामी हिंद विविध समुदायों के लोगों का एक मंच “सद्भावना मंच” एक दूसरे के बीच सद्भाव, भाईचारा और आपसी सम्मान को मज़बूत करने के लिए काम कर रहा है. वर्तमान में देश में लगभग 400 सद्भावना मंच काम कर रहे हैं. इनमें से कई का नेतृत्व महिलाएँ कर रही हैं.

आने वाले समय में जमात-ए-इस्लामी हिंद कम से कम 1,000 सद्भावना मंच बनाने की योजना बना रही है. साथ ही युवाओं को अपने स्वयं के सद्भावना मंच बनाने के लिए भी प्रोत्साहित किया जा रहा है. भारत के संविधान में समानता, न्याय, स्वतंत्रता और बंधुत्व पर जोर दिया गया है, इसलिए सद्भावना मंच ने इन मूल्यों को अपना मुख्य लक्ष्य बनाया है. नफरत से निपटने से लेकर बेजुबानों की आवाज़ बनने तक, सद्भावना मंच की उपलब्धियाँ कई मोर्चों पर फैली हैं.

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