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UN महासचिव एंटोनियो गुटेरेस रमजान में करेंगे बांग्लादेश का दौरा, रोहिंग्या मुसलमानों से करेंगे मुलाकात

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस 13-16 मार्च तक बांग्लादेश के दौरे के दौरान ढ़ाका में मोहम्मद यूनुस से मुलाकात करेंगे और इफ्तार पार्टी में शामिल होंगे.

Rohingya Muslims In Bangladesh: संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस 13-16 मार्च तक बांग्लादेश का दौरा करने वाले हैं. बांग्लादेश के सरकारी समाचार एजेंसी ‘बांग्लादेश संगबाद संस्था’ (BSS) ने बुधवार, 26 फरवरी को कहा कि गुटेरेस के ऑफिस ने उनकी यात्रा की तारीखों की पुष्टि की है. बता दें कि संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस की यात्रा बांग्लादेश अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस के निमंत्रण के बाद हो रही है.

वहीं मीडिया रिपोर्टों के मुताबितक UN महासचिव एंटोनियो गुटेरेस के प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने भी 28 फरवरी को मीडिया से बात की और गुटेरेस के बांग्लादेश दौरे की जानकारी दी.

रोहिंग्या मुसलमानों से करेंगे मुलाकात

एंटोनियो गुटेरेस बांग्लादेश के दौरे के दौरान ढ़ाका में मोहम्मद यूनुस से मुलाकात करेंगे और इफ्तार पार्टी में शामिल होंगे. प्रवक्ता स्टीफन ने आगे कहा कि यूनुस से मुलाकात करने के बाद गुटेरेस कॉक्स बाजार में मौजूद दुनिया के सबसे बड़े शरणार्थी शिविर में रोहिंग्या मुस्लिम शर्णाथी से मुलाकात करेंगे.

रमजान के महीने में अक्सर मुसलमानों से मिलते हैं गुटेरेस

एंटोनियो गुटेरेस के प्रवक्ता स्टीफन ने कहा कि UN महासचिव का रमजान का महीने में बांग्लादेश का दौरा और दुख झेल रहे रोहिंग्याई मुस्लिमों से मिलना एकजुटता के संकेत के रूप में देखा जा सकता है. स्टीफन ने आगे कहा कि एंटोनियो गुटेरेस लंबे समय से रमजान के महीने में एकजुटता का मैसेज देने के लिए परेशान हाल मुस्लिमों से मुलकात करते हैं.

दुनिया के सबसे बड़े शरणार्थी शिविर में इतने रोहिंग्या मुस्लिम

संयुक्त राष्ट्र की शरणार्थी एजेंसी यूएनएचसीआर के अनुसार, बांग्लादेश के कॉक्स बाजार में दुनिया के सबसे बड़े शरणार्थी शिविर में लगभग दस लाख रोहिंग्या शरणार्थी रहते हैं. रोहिंग्या एक जातीय अल्पसंख्यक हैं जिन्हें म्यांमार में नागरिकता से वंचित कर दिया गया है.

बता दें कि रोहिंग्या दुनिया की सबसे बड़ी आबादी हैं, जिनका अपना कोई देश नहीं है. यूएनएचसीआर के अनुसार, इन रोहिंग्याओं में से अधिकांश साल 2017 में इनके खिलाफ हुए उत्पीड़न, बड़े पैमाने पर हिंसा और मानवाधिकारों के उल्लंघन के बाद म्यांमार से भागकर बांग्लादेश आए थे.

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