रायपुर: छत्तीसगढ़ वक़्फ़ बोर्ड की तरफ से मस्जिदों के इमाम को एक एडवाइजरी दी गई है. अब छत्तीसगढ़ की मस्जिदों में अगर कोई भी इमाम खुतबा देगा या कोई बयान देगा, तो उसे पहले वक़्फ़ बोर्ड के अध्यक्ष डॉ सलीम राज से मंज़ूरी लेनी होगी. बोर्ड के अध्यक्ष सलीम राज ने कहा है कि “छत्तीसगढ़ की मस्जिदों में जो भी बयान होगा, पहले उसका अप्रूवल वक़्फ़ बोर्ड से कराना पड़ेगा.”
राज ने कहा कि जुमा के दिन अक्सर उलेमा जो बयान देते हैं, वह सौहार्द वातावरण को बिगड़ने का काम करते हैं. इसके लिए छत्तीसगढ़ राज्य वक़्फ़ बोर्ड ने एक व्हाट्सएप ग्रुप बनाया है. इमाम जो भी बयान देने वाले हैं, वह बयान पहले हमको भेजें और बोर्ड से अप्रूवल लें. उसके बाद बयान देंगे.
ज़ी सलाम की रिपोर्ट के अनुसार, सलीम राज ने इमाम साहब और खतीबों से गुजारिश की है कि भाई चारे वाली तकरीर दें. उन्होंने आगे कहा कि दीन और कुरआन की रोशनी में बयान दिया जाना चाहिए. सामाजिक सौहार्द बिगाड़ने वाला कोई बयान जारी नहीं होना चाहिए. यह मेरी गुजारिश है. उन्होंने आरोप लगाया है कि शुक्रवार की नमाज के बाद अक्सर पत्थरबाजी होती है. ऐसा क्यों होता है? उस पर भी विचार करनी चाहिए. अधिकतर शुक्रवार की नमाज के बाद दंगा फैला है. उसको भी सोचना चाहिए. शुक्रवार की नमाज के बाद रोड पर आग लगाना सामाजिक सौहार्द बिगड़ने की बात करना यह ठीक नहीं है.
राज ने कहा कि सिर्फ कुरआन और हदीस की रोशनी में मस्जिदों में चर्चा होना चाहिए. जो भी खतीब चुनकर आते हैं उनसे गुजारिश है कि मस्जिदों को राजनीति का अड्डा नहीं बनने देना चाहिए. वह एक धार्मिक स्थल है, उसे धार्मिक स्थल ही रहने दें. यह हमारी गुजारिश है. अगर ऐसा नहीं होता है तो हम दंडात्मक कार्रवाई करेंगे.
राज ने बताया कि राज्य में तकरीबन 3840 मुतवल्ली हैं. उसमें 1822 लोगों का हमने पंजीयन कर लिया है. बाकियों की जांच चल रही है. लगभग 4000 मुतवल्ली को हमें छत्तीसगढ़ में जोड़ना है. जिसमें दरगाह भी आएगी. मस्जिद भी रहेगी. सलीम राज के मुताबिक अधिकतर यह भी देखा गया है जिस दिन प्रोग्राम होता है, दोनों साइड पर रोड को जाम कर दिया जाता है. यह कहां का नियम है. अपनी जो स्थिति है, उसी हिसाब से प्रोग्राम कीजिए. आपके पास जगह नहीं है, तो दूसरी जगह कीजिए. रोड जाम करने का अधिकार किसी को नहीं दिया गया है.