अफगानिस्तान में तालिबान सरकार ने बुधवार को लड़कियों के लिए गर्ल्स हाई स्कूल फिर से खोलने के आदेश को वापस ले लिया है, जिसके चलते स्कूल पहुंची छात्राओं को घर लौटने का आदेश दिया गया.
इस आदेश के बाद देश के पूर्व राष्ट्रपति हामिद करज़ई समेत कई हस्तियों ने इस फैसले की निंदा की है और नोबेल पुरस्कार विजेता और सामाजिक कार्यकर्ता मलाला युसुफ़ज़ई ने तालिबान के फैसले की कड़ी आलोचना की है.
उन्होंने ट्वीट किया, ‘मुझे आज एक उम्मीद थी, पैदल स्कूल जाने वाली अफगान लड़कियों को घर नहीं भेजा जाएगा. लेकिन तालिबान ने अपना वादा पूरा नहीं किया. वे लड़कियों को पढ़ने से रोकने के बहाने तलाशते रहेंगे क्योंकि उन्हें शिक्षित लड़कियों और शक्तिशाली महिलाओं से डर लगता है.’
इससे पहले, अफगान शिक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता अजीज अहमद रयान ने कहा कि फिलहाल छठी कक्षा से आगे की लड़कियों के लिए स्कूल बंद रहेंगे.
उन्होंने कहा कि इस्लामिक अमीरात का नेतृत्व जल्द ही इस संबंध में अंतिम निर्णय लेगा. आगे की परियोजना तैयार होने तक गर्ल्स हाई स्कूल बंद रहेंगे. तालिबान के इस नवीनतम नोटिस के साथ, छात्राओं का दर्द उमड़ पड़ा और वे अपना दर्द व्यक्त करते हुए रोने लगीं. इस दौरान छात्राओं ने तालिबान से अपील की कि जल्द से जल्द स्कूल खोला जाये.
अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति हामिद करज़ई ने कहा कि लड़कियों के स्कूलों को बंद करना बहुत ही अफसोसनाक है और इस्लामिक अमीरात से उन लोगों के एजेंडे का समर्थन नहीं करने का आह्वान किया जो एक जरूरतमंद और अधीनस्थ अफगानिस्तान चाहते हैं. उन्होंने कहा कि सभी लड़कियों के स्कूल खोले जाने चाहिए.
इस बीच, कतर में अफगानिस्तान के अमेरिकी विदेश मंत्री ने कहा कि अफगानिस्तान में लड़कियों के गर्ल्स हाई स्कूल को बंद करना निराशाजनक है और तालिबान के आश्वासन और बयान विरोधाभासी हैं. गौरतलब है कि अफगान शिक्षा मंत्रालय ने बुधवार से सभी गर्ल्स हाई स्कूल खोलने की घोषणा की थी.