विश्वविद्यालयों और मदरसों की भागीदारी का स्वागत है: मौलाना अदनान

श्रीनगर: ‘आधुनिकता और प्राचीनता का संयोजन और विश्वविद्यालयों व मदरसों का एक ही स्थान पर एकीकरण बहुत अच्छी बात है. मानव निर्माण का उद्देश्य सार दिखाना है. सदियां बीत चुकी हैं, वो दरवाजे नहीं खुले.’ प्रसिद्ध धार्मिक विद्वान मौलाना अदनान ने बुधवार को श्रीनगर के मानु आर्ट्स एंड साइंस कॉलेज फॉर वूमेन के सैटेलाइट परिसर में आयोजित तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला के समापन सत्र में ये विचार व्यक्त किए. 19 से 21 सितंबर तक ‘समकालीन, सामाजिक, आर्थिक और धार्मिक मुद्दे’ पर कार्यशाला का आयोजन किया गया.

आवाज़ द वॉयस की खबर के मुताबिक, प्रधानाचार्य प्रोफेसर गजानफर अली खान ने इस कार्यशाला के उद्देश्यों पर चर्चा करते हुए कहा कि ‘भाषा ही समय को समझने का एकमात्र साधन है. इसके बिना समय की समझ संभव नहीं है.’ प्रोफेसर गयासुद्दीन ने अपने भाषण में कहा कि शिक्षा के अंतिम चरण में हमें अपनी आकांक्षाएं निर्धारित करनी चाहिए.

ज्ञान प्राप्त करने की दिशा निर्धारित की जानी चाहिए. प्रेमचंद की कहानी ‘कफन’ का जिक्र करते हुए उन्होंने अपने भीतर समालोचनात्मक चेतना जगाने को कहा. कार्यशाला के संयोजक डॉ. मुहम्मद सिराजुद्दीन ने तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला की रिपोर्ट प्रस्तुत की.

कार्यक्रम की शुरुआत में डॉ. सफदर जुबैर नदवी ने स्वागत भाषण दिया. मुफ्ती मुहम्मद सुल्तान कासमी ने कार्यशाला के बारे में अपनी टिप्पणी में कहा कि हम सभी इस्लाम के प्रवक्ता हैं. जब तक हम कुरान के संदर्भ में कोई ज्ञान नहीं देखेंगे, वह ज्ञान उपयोगी नहीं होगा.

डॉ. गुलाम नबी गनई, डॉ. जहूर अहमद वानी, डॉ. मुहम्मद सिराजुद्दीन, डॉ अब्दुल राशिद बट, डॉ नसीम अख्तर, डॉ एजाज अब्दुल्ला, डॉ अली मुहम्मद बट, सुश्री शबनम शमशाद, डॉ सियार अहमद मीर, डॉ मुहम्मद मकरम, डॉ लिंग राज मलिक और प्रोफेसर जस्सर औदा ने विभिन्न विषयों पर शोधपत्र प्रस्तुत किए.

प्रिंसिपल, आर्ट्स एंड साइंस कॉलेज फॉर विमेन, श्रीनगर ने इस्लामी न्यायशास्त्र अकादमी के अधिकारियों और प्रशासनिक मामलों के प्रभारी अनीस असलम, जनसंपर्क विभाग के प्रभारी मुफ्ती इम्तियाज अहमद कासमी ने सभी को धन्यवाद दिया. कार्यक्रम के प्रतिभागियों और मेहमानों को व्यक्तिगत रूप से और अन्य लोगों के साथ प्रमाण पत्र भी वितरित किए गए.

मानु कॉलेज के अलावा बड़ी संख्या में छात्रों, शोधार्थियों और अन्य विश्वविद्यालयों और मदरसों के शिक्षकों ने भाग लिया. कार्यशाला के आयोजन में भाग लेने वाले और इसे सफल बनाने के लिए कड़ी मेहनत करने वाले छात्रों और शोध विद्वानों में मुहम्मद अदनान, बहार अहमद लोन, फिरदौस, यावर, मिस्बाह हसन, उमर हमीद पारे, साफिया खातून, फरहाना मीर, रुकिया बानो, उजमा शामिल हैं. मेहरीन के अलावा कौसर फातिमा, फिरदौस, शाजिया, महमूद रियाज, मुहम्मद जीशान, कमर-उल-निसा, सामिया बशीर, रफीक अब्दुल्ला शाह, गुलजार अहमद शाह, बिलाल अहमद लून, तारिक अहमद डार और मुदस्सर अहमद मलिक भी शामिल हैं.

spot_img
1,705FansLike
254FollowersFollow
118FollowersFollow
14,700SubscribersSubscribe