उत्तर प्रदेश के वाराणसी में स्थित ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वे किया जा रहा है. ये सर्वे वाराणसी के सीनियर जज डिवीजन के आदेश पर हो रहा है. अब इस मामले में ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल मुस्लिमीन (AIMIM) के चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने कहा है कि ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वे कानून का उल्लंघन है.
असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वेक्षण करने का ऑर्डर 1991 के पूजा स्थल अधिनियम का खुला उल्लंघन है. उन्होंने आगे कहा कि अयोध्या फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि यह अधिनियम भारत की धर्मनिरपेक्ष विशेषताओं की रक्षा करता है, जो कि संविधान की बुनियादी विशेषताओं में से एक है.
ओवैसी ने सर्वे के फैसले को एंटी मुस्लिम हिंसा का रास्ता खोलने वाला भी बताया है. एआईएमआईएम के प्रमुख ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि कोर्ट की ओर से सुप्रीम कोर्ट की खुलेआम अवहेलना की जा रही है. इस आदेश से कोर्ट 1980-1990 के दशक की रथ यात्रा के हुए खून-खराबे और मुस्लिम विरोधी हिंसा का रास्ता खोल रही है.
Unfortunate that the Court* is blatantly defying the SC. By this order, the Court is opening the path for the bloodshed of Rath Yatra and anti-Muslim violence of 1980s-1990s. 2/2
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) May 7, 2022
बता दें कि शुक्रवार को जब सर्वे करने के लिए टीम ज्ञानवापी मस्जिद पहुंची तो मुसलामनों ने अपनी नाराज़गी जताई और इसका विरोध भी किया. आज तक खबर के अनुसार, दोनों पक्षों की ओर से जमकर नारेबाजी की गई थी. काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद के परिसर में आज भी वीडियोग्राफी होनी है.
ज्ञात हो कि श्रृंगार गौरी और देव विग्रहों की वीडियोग्राफी और सर्वे में एकत्र किए गए सबूतों को सुरक्षित स्थान पर रखा जाएगा. सिविल जज सीनियर डिवीजन रवि कुमार दिवाकर ने यह आदेश पुलिस आयुक्त को दिया है. सिविल जज सीडी रवि कुमार दिवाकर की अदालत ने वादिनी राखी सिंह व पांच अन्य के मामले में ज्ञानवापी परिसर स्थित श्रंगार गौरी व अन्य देव विग्रहों के वीडियोग्राफी और सर्वे के लिए अजय कुमार मिश्र एडवोकेट को सर्वे कमिश्नर नियुक्त कर 10 मई को रिपोर्ट मांगी है. वाद में नियमित दर्शन पूजन की मांग की गई है. इस दौरान कोर्ट का आदेश है कि दोनों पक्षों की मौजूदगी में सर्वे और वीडियोग्राफी हो.