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भारतीय मूल के ब्रिटिश लेखक सलमान रुश्दी पर जानलेवा हमला, हालत गंभीर

न्यूयॉर्क: भारतीय मूल के ब्रिटिश-अमेरिकी लेखक सलमान रुश्दी पर पश्चिमी न्यूयॉर्क में शुक्रवार को जानलेवा हमला हुआ. न्यूयॉर्क स्टेट पुलिस के मुताबिक शुक्रवार को सुबह 11 बजे चौटाउक्वा इंस्टीटयूशन में हमलावर तेजी से मंच पर दौड़ा और सलमान रुश्दी और इंटरव्यूअर पर चाकू से हमला कर दिया. चाकू रुश्दी के गर्दन पर लगी और वह मंच पर ही गिर पड़े. वहीं इंटरव्यूअर के सिर पर भी हल्की चोट आई है.

रुश्दी को एयर एंबुलेंस से अस्पताल भेजा गया. सलमान रुश्दी को अस्पताल में वेंटिलेटर पर रखा गया है. उनकी हालत बहुत ज़्यादा खराब है.

कहा जा रहा है कि सर्जरी के बाद उनकी एक आंख जा सकती है. रश्दी के एजेंट एंड्रू विलिए ने बताया कि वह बोल नहीं पा रहे हैं.

घायल होने के बाद रुश्दी को अस्पताल ले जाते मेडिकल टीम के सदस्य

बीबीसी की खबर के मुताबिक, न्यूयॉर्क प्रांत की गवर्नर कैथी होचुल ने हमले के बाद त्वरित प्रतिक्रिया देने वालों और न्यूयॉर्क स्टेट पुलिस का शुक्रिया अदा किया है.

उन्होंने सोशल मीडिया साइट ट्विटर पर लिखा, ”इस भयावह घटना के बाद हमारी सहानुभूति सलमान और उनके चाहने वालों के साथ है. मैंने स्टेट पुलिस को जांच में ज़रूरत पड़ने पर और मदद करने का निर्देश दिया है.”

न्यूयॉर्क स्टेट पुलिस ने अपने बयान में यह भी बताया है कि सलमान रुश्दी पर हमला करने वाले ने उनका इंटरव्यू ले रहे शख़्स पर भी हमला किया था. पुलिस के अनुसार, इंटरव्यू लेने वाले के सिर में मामूली चोट लगी है.

इस कार्यक्रम के ब्यौरे के अनुसार, सलमान रुश्दी का इंटरव्यू लेने वाले शख़्स हेनरी रीज़ हैं. वे पिट्सबर्ग की एक एनजीओ ‘सिटी ऑफ़ एसाइलम’ के सह-संस्थापक और अध्यक्ष हैं.

इस संस्था की स्थापना 2004 में हुई थी. इस संस्था का काम ‘जान के ख़तरे से जूझ रहे लेखकों को पीट्सबर्ग में संरक्षण देना है.

पुलिस ने हमलावर को गिरफ्तार कर लिया

संस्था की वेबसाइट पर बताया गया है कि सलमान रुश्दी को 1997 में सुनने के बाद इसे शुरू किया गया था.

दैनिक भास्कर की खबर के मुताबिक, रुश्दी का जन्म 19 जून 1947 को मुंबई में हुआ था. 75 साल के सलमान रुश्दी ने अपनी किताबों से दुनिया भर में पहचान बनाई. अपने दूसरे ही उपन्यास ‘मिडनाइट्स चिल्ड्रेन’ के लिए 1981 में ‘बुकर प्राइज’ और 1983 में ‘बेस्ट ऑफ द बुकर्स’ पुरस्कार से सम्मानित किए गए. रुश्दी ने लेखक के तौर पर शुरुआत 1975 में अपने पहले उपन्यास ‘ग्राइमस’ (Grimus) के साथ की थी.

रुश्दी को पहचान उनके दूसरे उपन्यास ‘मिडनाइट्स चिल्ड्रेन’ से मिली. उन्होंने कई किताबें लिखीं जिसमें द जैगुअर स्माइल, द मूर्स लास्ट साई, द ग्राउंड बिनीथ हर फीट और शालीमार द क्लाउन शामिल हैं, लेकिन रुश्दी सबसे ज्यादा अपनी विवादित किताब ‘द सैटेनिक वर्सेस’ को लेकर चर्चा में रहे.

सलमान रुश्दी

‘द सैटेनिक वर्सेस’ सलमान रुश्दी का चौथा उपन्यास है. भारत और दुनिया के कई देशों में यह उपन्यास बैन है. यह उपन्यास 1988 में प्रकाशित हुआ था, जिस पर पर काफी विवाद हुआ था. इसके लिए रुश्दी पर पैगंबर मोहम्मद सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम के अपमान का आरोप लगाया गया. इस किताब का शीर्षक एक विवादित मुस्लिम परंपरा के बारे में है. इस परंपरा के बारे में रुश्दी ने अपनी किताब में खुल कर लिखा.

उपन्यास ‘द सैटेनिक वर्सेस’ के जापानी ट्रांसलेटर हितोशी इगाराशी की हत्या कर दी गई थी, जबकि इटैलियन ट्रांसलेटर और नॉर्वे के पब्लिशर पर भी हमले हुए. रुश्दी की तारीफ करने के लिए दक्षिण अफ्रीका में भारतीय मूल की महिला लेखक जैनब प्रिया पर भी जानलेवा हमले हुए थे. हमलावरों ने प्रिया के गर्दन पर चाकू रख दी थी और ईंट से चेहरे पर वार किया था.

पिछले साल एक इंटरव्यू में रुश्दी से जब पूछा गया कि उनकी जिंदगी अब कैसी चल रही है तो उन्होंने कहा था- जाने दीजिए, मुझे तो अपनी जिंदगी जीना ही है.

पूर्व पत्नी पद्मा लक्ष्मी के साथ रुश्दी

रुश्दी रोमांस को लेकर भी चर्चा में रहे हैं. वे अब तक 4 शादियां कर चुके हैं और उतनी ही महिलाओं से इश्क भी फरमा चुके हैं. वे जन्म के कुछ समय बाद ही ब्रिटेन चले गए थे. इंग्लैंड के रगबी स्कूल में उन्होंने प्राइमरी की पढ़ाई की. बाद में कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में इतिहास की पढ़ाई की. साहित्यकार बनने से पहले रुश्दी ऐड एजेंसियों में कॉपी राइटर का भी काम कर चुके हैं.

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