निजी, पेशेवर जीवन के बीच तालमेल बिठाने के लिए जूझ रहीं 65 फीसदी डॉक्टर-माताएं: अध्ययन

नयी दिल्ली: प्रमुख महानगरों और टियर-2 शहरों में 500 डॉक्टर-माताओं पर किए गए एक अध्ययन में पाया गया है कि 65 फीसदी ऐसी महिला डॉक्टर निजी और पेशेवर जीवन के बीच तालमेल बिठाने के लिए जूझ रही हैं।

गुरुग्राम स्थित प्रिस्टिन केयर और लाइब्रेट डेटा द्वारा किए गए अध्ययन में कहा गया है कि 41 प्रतिशत डॉक्टर-माताओं ने ‘‘डॉक्टर और मां होने’’ के कारण कार्यस्थल पर भेदभाव का अनुभव किया है।

यह अध्ययन दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, बेंगलुरु, कानपुर, चंडीगढ़, पटना, कोच्चि और विजयवाड़ा में किया गया था।

अध्ययन में पाया गया है कि औसतन 63 प्रतिशत डॉक्टर रोजाना आठ से 12 घंटे काम करते हैं, जिससे उनका निजी जीवन भी प्रभावित होता है। यह भी सामने आया है कि इनमें से 50 प्रतिशत से अधिक पेशेवर खुद की देखभाल के वास्ते समय निकालने के लिए भी जूझते हैं।

प्रिस्टिन केयर की सह-संस्थापक और स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ गरिमा साहनी ने कहा, ‘‘इस अध्ययन का उद्देश्य यह समझना है कि डॉक्टर-माताएं अपने व्यक्तिगत और पेशेवर जीवन में कैसे तालमेल बिठाती हैं। हमने उनके काम के घंटे, कार्य समय की प्राथमिकताएं, स्व-देखभाल की आदतों और मानव संसाधन नीतियों पर उनके दृष्टिकोण को लेकर विचार किया है।’’

(इनपुट पीटीआई-भाषा)

spot_img
1,708FansLike
254FollowersFollow
118FollowersFollow
14,600SubscribersSubscribe