Sambhal Violence: संभल में कैसे शुरू हुई हिंसा, अब तक क्या कार्रवाई हुई?

संभल: उत्तर प्रदेश के जिला संभल में हालात बहुत ज़्यादा खराब हैं. सर्वे के बाद शुरू हुई हिंसा में 4 लोगों की जान जा चुकी है. मरने वालों के नाम नौमान, बिलाल, नईम और मोहम्मद कैफ है. घायलों में 24 पुलिस के जवान और अधिकारी शामिल हैं. रविवार को हुई इस हिंसा को लेकर अलग-अलग थ्योरीज सोशल मीडिया पर सर्कुलेट हो रही हैं. आखिर पूरा मामला क्या है?

कांग्रेस ने इस मामले में साज़िश का आरोप लगाया है. पार्टी का कहना है कि यह हिंसा पहले से प्लान करके की गई है. वहीं असदुद्दीन ओवैसी ने इस हिंसा का आरोप पुलिस के एक्शन पर लगाया है और मामले की निष्पक्ष जांच कराने की मांग की है.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 24 नवंबर को मस्जिद का सर्वे होना था और पुलिस मस्जिद के इलाके में मौजूद थी. इसी दौरान भीड़ इस सर्वे का विरोध प्रदर्शन कर रही थी. जैसे ही सर्वे टीम सर्वे के बाद बाहर निकली तो पुलिस ने लोगों को हटाने की कोशिश की और इस दौरान पथराव हो गया. यहीं से हिंसा की शुरुआत हुई है. वहीं इस मामले में असदुद्दीन ओवैसी का कहना है कि लोग शांति से विरोध प्रदर्शन कर रहे थे. पुलिस ने उन पर फायरिंग की. जिसमें तीन नौजवानों की मौत हो गई.

असदुद्दीन ओवैसी ने ट्वीट किया, ” तुझ को कितनों का लहू चाहिए ऐ अर्ज़-ए-वतन? जो तिरे आरिज़-ए-बे-रंग को गुलनार करें. कितनी आहों से कलेजा तिरा ठंडा होगा, कितने आँसू तिरे सहराओं को गुलज़ार करें. संभल में पुर-अमन एहतिजाज करने वालों पर उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा फायरिंग करने कि हम कड़ी निंदा करते हैं, पुलिस की फायरिंग में तीन नौजवानों की मौत हुई है. अल्लाह से दुआ है के अल्लाह मरहूमीन को मग़फ़िरत अदा करे और उनके घर वालों को सब्र ए जमील अदा करे. इस हादसे की निष्पक्ष जाँच होनी चाहिए. जो अफ़सर ज़िम्मेदार हैं, उनके ख़िलाफ़ कार्यवाही होनी चाहिए”. वहीं पुलिस का कहना है कि उन्होंने लोगों पर फायरिंग नहीं की. हालांकि, सोशल मीडिया पर लोग सवाल कर रहे हैं कि अगर पुलिस ने फायरिंग नहीं की तो लोगों की मौत कैसे हुई?

 

मुरादाबाद के डिविजनल कमिश्नर अंजनेय कुमार सिंह ने मीडिया को बताया कि उपद्रवियों ने हंगामे के दौरान गोलियां चलाईं. एक अधिकारी को गोली लगी. करीब 20 सुरक्षाकर्मी घायल हुए. समाचार एजेंसी पीटीआई ने उनके हवाले से बताया, “उपद्रवियों ने गोलियां चलाईं…पुलिस अधीक्षक के पीआरओ के पैर में गोली लगी, पुलिस सर्किल ऑफिसर को छर्रे लगे और हिंसा में 15 से 20 सुरक्षाकर्मी घायल हुए.”

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फोटो साभार: शिखा अवस्थी (पत्रकार)

आंजनेय कुमार सिंह ने बताया कि एक पुलिस कांस्टेबल के सिर में गंभीर चोट आई है और डिप्टी कलेक्टर के पैर में फ्रैक्चर हो गया है. संभल प्रशासन ने 25 नवंबर को तहसील क्षेत्र में 24 घंटे के लिए इंटरनेट बंद कर दिया और सभी स्कूल बंद कर दिए हैं.

पुलिस ने कहा कि हिंसा तब शुरू हुई जब सर्वे टीम अपना काम पूरा करने के बाद वापस लौट रही थी. सिंह ने कहा, “तीन तरफ से ग्रुप थे. एक सामने से, एक दाएं से और एक बाएं से. वे लगातार पत्थरबाजी कर रहे थे. पुलिस ने बल का इस्तेमाल किया ताकि सर्वे दल को सुरक्षित बाहर निकाला जा सके. आंसू गैस के गोले भी दागे गए. प्लास्टिक की गोलियों का इस्तेमाल किया गया.”

फोटो साभार: सोशल मीडिया

कृष्ण कुमार ने उन रिपोर्टों का खंडन किया कि पुलिस ने भीड़ पर गोली चलाई. उन्होंने कहा कि गैर-घातक पेलेट गन का इस्तेमाल किया गया. उन्होंने कहा, “पुलिस ने पेलेट गन का इस्तेमाल किया है. किसी भी ऐसे हथियार का इस्तेमाल नहीं किया गया जिससे किसी की जान जा सकती हो.”

पुलिस ने बताया कि इस मामले में 21 लोगों को हिरासत में लिया गया है. उनके पास से कई तरह के हथियार बरामद हुए हैं. उन्हें अलग-अलग बोर की गोलियों के खोखे भी मिले हैं. पुलिस ने बताया कि हिरासत में लिए गए लोगों के घरों से हथियार बरामद किए गए हैं. उन्होंने दो महिलाओं को भी हिरासत में लिया है जिनके घर से गोलीबारी हुई थी. अधिकारियों ने पीटीआई को बताया कि हिंसा में शामिल लोगों पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) के तहत मामला दर्ज किया जाएगा.

संभल की कई सौ साल पुरानी शाही मस्जिद को लेकर कोर्ट ने सर्वे का आदेश दिया था. यह आदेश हिंदू पक्ष की पिटीशन जिसमें दावा किया गया था कि इस मस्जिद की जगह पहले मंदिर हुआ करता था और फिर उसे तोड़कर मस्जिद बना दी गई के बाद आया. इस मामले में पहला सर्वे 19 नवंबर को हुआ था और दूसरा सर्वे 24 नवंबर को हुआ.

इस मामले में मुस्लिम पक्ष ने पहले सर्वे वाले दिन ही अपनी फिक्र का इज़हार किया था. इलाकाई लोगों का कहना था कि यह कैसे हो सकता है कि एक ही दिन में पिटीशन तैयार की गई, उसी दिन फाइल की गई और उसी दिन कोर्ट ने उसमें सर्वे का आदेश दे दिया. कोर्ट के इस आदेश के बाद काफी सियासी लीडरान ने हैरानी का भी इज़हार किया था.

वहीं, कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने संभल हिंसा पर कहा, “संभल, उत्तर प्रदेश में अचानक उठे विवाद को लेकर राज्य सरकार का रवैया बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है. इतने संवेदनशील मामले में बिना दूसरा पक्ष सुने, बिना दोनों पक्षों को विश्वास में लिए प्रशासन ने जिस तरह ​हड़बड़ी के साथ कार्रवाई की, वह दिखाता है कि सरकार ने खुद माहौल खराब किया. प्रशासन ने जरूरी प्रक्रिया और कर्तव्य का पालन भी जरूरी नहीं समझा.

सत्ता में बैठकर भेदभाव, अत्याचार और फूट फैलाने का प्रयास करना न जनता के हित में है, न देश के हित में. माननीय सुप्रीम कोर्ट को इस मामले का संज्ञान लेकर न्याय करना चाहिए.

प्रदेश की जनता से मेरी अपील है कि हर हाल में शांति बनाएं रखें”.

इस मामले पर समाजवादी पार्टी के नेता और सांसद जियाउर्रहमान बर्क का बड़ा बयान आया है. जियाउर्रहमान बर्क का आरोप है कि पुलिस, शासन और प्रशासन की साजिश के तहत हिंसा को अंजाम दिया गया है. पुसिस की तरफ से आम लोगों पर गोली चलाई गई है, जिससे लोगों की मौत हुई है. उनका यह भी कहना है कि जब सर्वे टीम मस्जिद में जा रहा थी तब ‘जय श्री राम’ के नारे हुए जा रहे थे.

जियाउर्रहमान बर्क का कहना है कि पहले आराम से मस्जिद का सर्वे हो गया था. बाद में मस्जिद का सर्वे कराने के लिए अदालत से इजाजत लेनी चाहिए थी. उनका कहना है कि जल्दबाजी में मस्जिद का सर्वे कराया गया. उनका आरोप है कि सर्वे टीम मस्जिद की तरफ इस तरह से मस्जिद का सर्वे करने जा रही थी जैसे कहीं हमला करने जा रही हो. उनका आरोप है कि सर्वे टीम मस्जिद के अंदर ‘जय श्री राम’ के नारे लगाते हुए जा रही थी.

जियाउर्रहमान बर्क का का कहना है कि प्रशान के अधिकारी कह रहे हैं कि हमने कोई गोली नहीं चलाई, जबकि गोली चलाने की वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हैं. उन्होंने कहा कि सरकारी हथियारों के साथ प्राइवेट हथियारों का इस्तेमाल हुआ है. इसकी न्यायिक जांच होनी चाहिए. बर्क का आरोप है कि प्राइवेट हथियारों से पुलिस ने गोली चलाई ताकि कोई सबूत न मिल सके. गोलियां आम लोगों ने नहीं चलाई. कोई अपने लोगों की जान नहीं लेता है. उन्होंने पुलिस पर आरोप लगाते हुए कहा कि पुलिस की गोली चलाते हुए वीडियो वायरल हैं. उन्होंने मांग की कि दोषी लोगों पर कार्रवाई होनी चाहिए.

बता दें कि हिंदू पक्ष द्वारा दावा किया गया है कि हरिहर मंदिर को तोड़कर जामा मस्जिद बनवाया गया है और मस्जिद समिति इसका अनाधिकृत उपयोग कर रही है. हिंदू पक्ष का दावा है कि बाबर ने 1529 में इस मंदिर को तोड़कर मस्जिद में परिवर्तित कर दिया था. विष्णु शंकर जैन ने कहा कि उन्होंने ऐतिहासिक साक्ष्यों और हिन्दू आस्था के आधार पर यह याचिका दाखिल की है.

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