अजमेर: अजमेर दरगाह को पहले शिव मंदिर होने के दावे को लेकर कोर्ट ने बड़ा आदेश दिया है. सिविल कोर्ट (वेस्ट) ने ऐसा दावा करती याचिका को स्वीकार कर लिया है. यानि कोर्ट ने इस केस को सुनवाई लायक मान लिया है.
इस मामले में दरगाह का भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) सर्वे कराए जाने की मांग की गई है, ताकि सबूत जुटाकर पता लगाया जा सके कि अजमेर दरगाह पहले शिव मंदिर था.
जनता से रिश्ता खबर के अनुसार, कोर्ट ने बुधवार को सुनवाई के बाद नोटिस के निर्देश जारी किए. संभल में जामा मस्जिद के सर्वे के आदेश के बाद वहां हुई हिंसा के बाद अब अजमेर दरगाह के सर्वे को लेकर आया ये आदेश काफी अहमियत रखता है.
कोर्ट के आदेश के अनुसार, अजमेर दरगाह कमेटी, अल्पसंख्यक विभाग और एएसआई को नोटिस जारी किए जाएंगे. हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने वकील रामनिवास बिश्नोई और ईश्वर सिंह के मार्फत कोर्ट में वाद दायर किया था.
दरअसल, अजमेर दरगाह को संकट मोचन शिव मंदिर होने का दावा मामले में आज अजमेर सिविल कोर्ट वेस्ट में बहस की गई. कोर्ट में बहस के दौरान भगवान शिव के बाल स्वरूप की तरफ से वकील रामस्वरूप बिश्नोई ओर ईश्वर सिंह की ओर से बहस की गई. इसमें कहा गया कि दरगाह से पहले यहां शिव मंदिर था, जिसके कई साक्ष्य दस्तावेज के रूप में कोर्ट के सामने पेश किए गए.
बता दें कि हाल ही में उत्तर प्रदेश के संभल जिले में शाही जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान हिंसा भड़क गई थी. इस हिंसा में गोली लगने से 5 लोगों की मौत हो गई है. अब इस मामले में पुलिस ने बड़ी कार्रवाई की है. पुलिस ने 3 महिलाओं समेत 27 लोगों को गिरफ्तार किया है. हिंसा में शामिल 100 से ज्यादा आरोपियों की पहचान की गई है.
वहीं, संभल की जामा मस्जिद में अदालत के आदेश पर रविवार को किये जा रहे सर्वेक्षण का विरोध कर रहे प्रदर्शनकारी पुलिस से भिड़ गए थे. इस दौरान 5 व्यक्तियों की मौत हो गई. इस गोलीबारी और पथराव में उप जिलाधिकारी रमेश चंद्र समेत कुल 20 लोग घायल हुए हैं. हिंसा के बाद व्याप्त तनाव को देखते हुए संभल तहसील में इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई हैं तथा 12वीं कक्षा तक के स्कूल को बंद रखने के आदेश दिए गए हैं.
एक स्थानीय अदालत के आदेश पर गत मंगलवार को जामा मस्जिद का सर्वेक्षण किया गया था जिसके बाद से संभल में पिछले कुछ दिनों से तनाव व्याप्त था. रविवार को सर्वे करने वाली टीम दोबारा मस्जिद का सर्वे करने गई थी. स्थानीय अदालत में एक याचिका दाखिल करके दावा किया गया है कि जिस जगह पर जामा मस्जिद है, वहां पहले हरिहर मंदिर था.