चीन की ओर से आज चुशूल में कोर कमांडर स्तरीय वार्ता का 14वां दौर शुरू हुआ. भारतीय पक्ष का नेतृत्व फायर एंड फ्यूरी कोर कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल अनिंद्य सेनगुप्ता (Fire and Fury Corps Commander Lt Gen Anindya Sengupta) कर रहे हैं. वार्ता का मुख्य केंद्र बिंदु हॉट स्प्रिंग इलाके में सैनिकों को पीछे हटाना होगा. यह उम्मीद की जा रही है कि भारत देपसांग बल्ग और डेमचोक में मुद्दों के समाधान सहित टकराव वाले सभी शेष स्थानों पर यथाशीघ्र सैनिकों को पीछे हटाने के लिए जोर देगा.
इसको लेकर सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे ने कहा, पिछले साल जनवरी से, हमारी उत्तरी और पश्चिमी सीमाओं पर सकारात्मक विकास हुआ है. उत्तरी सीमाओं पर, हमने एक ही समय में, बातचीत के माध्यम से पीएलए के साथ जुड़ते हुए, उच्चतम स्तर की परिचालन तैयारियों को बनाए रखना जारी रखा है. पश्चिमी मोर्चे पर आतंकवादी गतिविधियां बढ़ी हैं और नियंत्रण रेखा के पार घुसपैठ के बार-बार प्रयास किए गए हैं. यह हमारे पश्चिमी पड़ोसी के नापाक मंसूबों को उजागर करता है. 4 दिसंबर को नागालैंड के ओटिंग में हुई घटना की गहनता से जांच की जा रही है. हम ऑपरेशन के दौरान भी अपने देशवासियों की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं.
चीन की नई सीमा कानून पर सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे ने कहा, कोई भी कानून, जो अन्य देशों के लिए बाध्यकारी नहीं है, जो कानूनी रूप से मान्य नहीं है और जो हमारे अतीत में हुए समझौतों के अनुरूप नहीं है, जाहिर तौर पर हम पर बाध्यकारी नहीं हो सकता.
ईटीवी भारत की ख़बर के अनुसार, उत्तरी सीमा पर स्थिति के बारे में एक सवाल का जवाब देते हुए सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे ने कहा, युद्ध या संघर्ष हमेशा अंतिम उपाय का एक साधन होता है. लेकिन अगर इसका सहारा लिया जाता है, तो हम विजयी होंगे. अरुणाचल प्रदेश में चीन द्वारा बुनियादी ढांचे के निर्माण की खबरों पर सेना प्रमुख ने कहा, ऐसा इसलिए होता है क्योंकि एलएसी अनिर्धारित है और अलग-अलग धारणाएं हैं कि सीमा वास्तव में कहां है. जब तक सीमा के मुद्दे अनसुलझे रहेंगे, इस तरह के मुद्दे सामने आते रहेंगे. दीर्घकालीन समाधान सीमा प्रश्न को हल करना है, न कि हमारे द्विपक्षीय संबंधों में अंतर…हम अपनी सीमाओं पर अच्छी तरह से तैयार हैं.
उल्लेखनीय है कि 13वें दौर की सैन्य वार्ता 10 अक्टूबर 2021 को हुई थी और गतिरोध दूर नहीं कर पाई थी.
ईटीवी भारत की ख़बर के अनुसार, भारत और चीन पिछले साल 18 नवंबर को अपनी डिजिटल राजनयिक वार्ता में शीघ्र ही 14 वें दौर की सैन्य वार्ता करने को सहमत हुए थे ताकि पूर्वी लद्दाख में टकराव वाले शेष स्थानों से सैनिकों को पूर्ण रूप से पीछे हटाने के लक्ष्य को हासिल किया जा सके.
पैंगोंग झील इलाके में 5 मई 2020 को भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच हिंसक झड़प होने के बाद पूर्वी लद्दाख सीमा गतिरोध पैदा हुआ था.
सिलसिलेवार सैन्य एवं राजनयिक वार्ता के परिणामस्वरूप पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी तटों तथा गोगरा इलाके में सैनिकों को पीछे हटाने की प्रक्रिया दोनों पक्षों ने पिछले साल पूरी की थी.
वास्तविक नियंत्रण रेखा के संवेदनशील क्षेत्रों में वर्तमान में दोनों में से प्रत्येक देश के करीब 50,000 से 60,000 सैनिक हैं.