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‘कई राजा-महाराजा आये और चले गए…’, अजमेर दरगाह को मंदिर कहने पर ओवैसी की तीखी टिप्पणी

अजमेर: अजमेर में ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती (RA) की दरगाह कैंपस को हिंदू मंदिर होने के दावे पर ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के चीफ और हैदराबाद से लोकसभा सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने टिप्पणी है. एक्स पर पीएम नरेंद्र मोदी को टैग करते हुए ट्वीट किया है कि बहुत ही अफ़सोसनाक बात है कि हिंदुत्व संगठनों का एजेंडा पूरा करने के लिए क़ानून और संविधान की धज्जियां उड़ाई जा रहीं हैं और नरेंद्र मोदी चुप चाप देख रहे हैं.

दरअसल, राजस्थान की एक निचली अदालत ने दरगाह परिसर में संकट मोचन महादेव मंदिर के अस्तित्व का दावा करने वाली याचिका स्वीकार कर ली, जिसके बाद देश और प्रदेश का राजनीतिक तापमान हाई हो गया. याचिका में दावा किया गया है कि दरगाह की जमीन पर भगवान शिव का मंदिर था. वहां पूजा-अर्चना होता रहा है. दरगाह परिसर में जैन मंदिर होने का भी दावा किया गया था.

कोर्ट के जरिए याचिका स्वीकार किए जाने के बाद असदुद्दीन ओवैसी ने प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 का हवाला देते हुए कहा कि सुल्तान-ए-हिन्द ख़्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती (RA) भारत के मुसलमानों के सबसे अहम औलिया इकराम में से एक हैं. उनके आस्तान पर सदियों से लोग जा रहे हैं और जाते रहेंगे इंशाअल्लाह. कई राजा, महाराजा, शहंशाह, आए और चले गये, लेकिन ख़्वाजा अजमेरी का आस्तान आज भी आबाद है.

असदुद्दीन ओवैसी ने आगे लिखा, प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 का इबादतगाहों का क़ानून साफ़ कहता है कि किसी भी इबादतगाह की मज़हबी पहचान को तब्दील नहीं किया जा सकता, ना अदालत में इन मामलों की सुनवाई होगी. ये अदालतों का क़ानूनी फ़र्ज़ है कि वो 1991 एक्ट को अमल में लायें. बहुत ही अफ़सोसनाक बात है कि हिंदुत्व संगठनों का एजेंडा पूरा करने के लिए क़ानून और संविधान की धज्जियां उड़ाई जा रहीं हैं और नरेंद्र मोदी चुप चाप देख रहे हैं.

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