रांची: झारखंड के कई मुस्लिम तंजीमों की लगातार मांग के बाद मदरसा बोर्ड के गठन का रास्ता साफ होता हुआ दिख रहा है यानी, झारखंड में अब जल्द ही मदरसा बोर्ड का गठन किया जाएगा. दरअसल, असेंबली के स्पेशल सेशन के तीसरे दिन सदन में गवर्नर संतोष गंगवार ने अपने अभिभाषण में मदरसा बोर्ड का जिक्र किया था. इसके बाद से यह साफ हो गया है कि मदरसा बोर्ड को लेकर हेमंत सोरेन की अगुआई वाली सरकार काफी गंभीर है. हालांकि, अब इस मामले पर सियासत भी गरमा गई है.
मदरसा बोर्ड के गठन को लेकर सरकार द्वारा की जा रही तैयारियों की जानकारी देते हुए जेएमएम नेता व अल्पसंख्यक मंत्री हफीजुल हसन ने कहा कि इसको लेकर बिहार, ओडिशा और तेलंगाना से नियम कानून मंगवाये गए हैं और इसका स्टडी किया जा रहा है. उम्मीद है कि जल्द ही इसे अंतिम रुप देकर सरकार कदम आगे बढायेगी.
मंत्री हफीजुल हसन ने कहा कि लंबे वक्त से यहां मदरसा बोर्ड की मांग रही है और सरकार इसको लेकर गंभीर भी है. हाल ही में झारखंड के कई मुस्लिम तंजीमों के एक डेलिगेशन सीएम से मुलाकात की थी.
राज्यसभा सांसद महुआ माजी की अगुआई वाली इस डेलिगेशन मदरसा बोर्ड का गठन, मुस्लिम समाज की परेशानी और वक्फ बिल में संशोधन से संबंधित ज्ञापन सौंपा था और मुस्लिम वित्त निगम समेत मदरसा बोर्ड का गठन जल्द कराने की मांग की थी.
ज़ी सलाम की खबर के अनुसार, मुख्यमंत्री सोरेन ने उनकी मांगों पर गंभीरतापूर्वक विचार करने का आश्वासन दिया था. डेलिगेशन में इमारत-ए-शरिया के नाजिम सह काजी मुफ्ती अनवर कासमी, ऑल इंडिया जमात इस्लामिया के मेंबर इमाम मुफ्ती तलहा, कुतुबुद्दीन रिज़वी साहब, पूर्व काउंसर मो. असलम, अनवर आलम, हाजी फिरोज और अमन यूथ सोसायटी के अयूब राजा खान, नदीम इक़बाल, अजहर खान शामिल थे.
वहीं, मदरसा बोर्ड के गठन का रास्ता साफ होने और सरकार की तैयारी पर राज्य की मुख्य विपक्षी पार्टी बीजेपी ने कटाक्ष किया है. विपक्ष ने कहा कि इस फैसले से सिर्फ एक खास वर्ग को साधने के लिए यानी अपने वोट बैंक को एकजुट रखने के लिए मदरसा बोर्ड का गठन किया जा रहा है और संस्कृत को नजरअंदाज किया जा रहा है. हालांकि, बीजेपी ने कहा कि मदरसा बोर्ड का विरोध नहीं है, लेकिन संस्कृत बोर्ड का भी गठन होना चाहिए.