‘मस्जिद में ‘जय श्री राम’ के नारे लगाना अपराध कैसे है’, याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने पूछा सवाल

नई दिल्ली: सोशल मीडिया पर ऐसे कई वीडियो वायरल होते हैं, जिसमें मस्जिद के बाहर भीड़ ‘जय श्री राम’ का नारा लगाते दिखती है. ऐसा ही एक मामला कर्नाटक से आया था. जहां, दो लोगों ने एक मस्जिद में ‘जय श्री राम’ का नारा लगाया था. जिसके बाद आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया. बाद में कर्नाटक हाईकोर्ट ने 13 सितंबर को दो लोगों के खिलाफ की गई कार्रवाई को रद्द कर दिया. इसके बाद शिकायतकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. अब इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी टिप्पणी की है.

ज़ी सलाम की खबर के अनुसार, इस मामले की सुनवाई करते हुए आज यानी 16 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट ने पूछा है कि ‘जय श्री राम’ का नारा लगाना आपराधिक कृत्य कैसे है? जस्टिस पंकज मिथल और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की. इस याचिका में कर्नाटक हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें मस्जिद के अंदर कथित तौर पर ‘जय श्री राम’ का नारा लगाने के लिए दो लोगों के खिलाफ कार्यवाही 13 सितंबर को रद्द कर दी गई थी.

शिकायतकर्ता हैदर अली सी एम द्वारा दायर याचिका पर पीठ ने पूछा, “वे एक विशेष धार्मिक नारा लगा रहे थे या नाम ले रहे थे. यह अपराध कैसे है?” सुप्रीम कोर्ट ने शिकायतकर्ता से यह भी पूछा कि मस्जिद के भीतर आकर कथित तौर पर नारे लगाने वाले व्यक्तियों की पहचान कैसे की गई?

पीठ ने याचिकाकर्ता की तरफ से पेश सीनियर वकील देवदत्त कामत से पूछा, “आप इन प्रतिवादियों की पहचान कैसे करते हैं? आप कहते हैं कि वे सभी सीसीटीवी की निगरानी में हैं.” पीठ ने पूछा, “भीतर आने वाले व्यक्तियों की पहचान किसने की?” कोर्ट के इस सवाल पर याचिकाकर्ता के वकील कामत ने कहा कि हाईकोर्ट ने कार्यवाही रद्द कर दी, जबकि मामले में जांच पूरी नहीं हुई थी.

इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट ने पाया कि आरोप भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 503 या धारा 447 के प्रावधानों से संबंधित नहीं है. आईपीसी की धारा 503 आपराधिक धमकी से संबंधित है, जबकि धारा 447 अनधिकार दाखिल होने के लिए दंड से संबंधित है. जब पीठ ने पूछा, “क्या आप मस्जिद में दाखिल होने वाले वास्तविक व्यक्तियों की पहचान कर पाए हैं?” तो कामत ने कहा कि राज्य पुलिस इसके बारे में बता पाएगी.

पीठ ने याचिकाकर्ता से याचिका की एक कॉपी राज्य को देने को कहा और मामले की अगली सुनवाई जनवरी 2025 के लिए स्थगित कर दी. सु्प्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा,“यह समझ से परे है कि अगर कोई ‘जय श्री राम’ का नारा लगाता है तो इससे किसी वर्ग की धार्मिक भावना कैसे आहत होगी.”

हाईकोर्ट ने कहा कि इस बात का कोई सबूत नहीं है कि कथित घटना से सार्वजनिक शरारत या कोई दरार पैदा हुई है. आरोप है कि घटना 24 सितंबर 2023 को हुई थी और पुत्तूर सर्कल के कडाबा थाने में शिकायत दर्ज कराई गई थी.

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