Sambhal News: संभल के नखासा थाना क्षेत्र के रायसत्ती पुलिस चौकी के अंदर 20 जनवरी को हिरासत में लिए गए मो. इरफान की मौत हो गयी. परिवार का आरोप है कि मो. इरफान घर में बैठे हुए थे तभी राय सत्ती पुलिस चौकी इंचार्ज जितेंद्र अन्य पुलिस वालों के साथ आए और गाली- गलौज के साथ- साथ बुरे तरीके से मारना पीटना शुरु कर दिया. फिर इसके बाद उन्हें जबरदस्ती रायसत्ती पुलिस चौकी ले गए. जहां उनके साथ फिर से मारपीट की गई, जिससे पुलिस कस्टडी में उनकी मौत हो गई.
‘कब तक लोगों की जानें जाती रहेंगी, अत्याचार होता रहेगा’
इस मामले पर सपा सांसद ज़िया उर रहमान बर्क ने पुलिस अधिकारियों पर बड़ा आरोप लगाया. ज़िया उर रहमान ने कहा, ‘पुलिस का स्लोगन है- सुरक्षा आपकी संकल्प हमारा. लेकिन मालूम नहीं ये कैसी सुरक्षा है और कैसा संकल्प है कि हिरासत में आदमी की मौत हो जाती है. पुलिस के माथे पर ये दाग पहली बार नहीं लगा है और जिस तरह के हालात हैं, वैसे लगता नहीं कि आखिरी बार है. यह हत्या है.
पुलिस के द्वारा की गयी हत्या पर जो भी पुलिस वाले व अधिकारी ज़िम्मेदार है उन पर तत्काल हत्या का मुकद्दमा दर्ज हो. कब तक लोगों की जाने जाती रहेंगी कब तक अत्याचार होता रहेगा संविधान का तक़ाज़ा है यतीम बच्चों व पीड़ित परिवार को इंसाफ़ मिलना चाहिए.’
(1) पुलिस का स्लोगन है-
सुरक्षा आपकी संकल्प हमारा…लेकिन मालूम नहीं ये कैसी सुरक्षा है और कैसा संकल्प है कि हिरासत में आदमी की मौत हो जाती है. पुलिस के माथे पर ये दाग पहली बार नहीं लगा है और जिस तरह के हालात हैं, वैसे लगता नहीं कि आखिरी बार है. यह हत्या है। pic.twitter.com/IWc0cWX22v
— Zia Ur Rehman Barq Mp (@barq_zia) January 20, 2025
‘हिरासत में मौत का सिलसिला थम नहीं रहा’
वहीं सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा, “भाजपा सरकार के तहत उत्तर प्रदेश के अंदर ‘हिरासत में मौत’ का सिलसिला थम नहीं रहा है. हालिया मामले में संभल में पूछताछ के नाम पर घर से ले गये व्यक्ति की हिरासत में मौत होने से जनाक्रोश भड़क उठा. अन्याय करने वाली भाजपा सरकार अब अपने अंतिम दौर में है.”
कानून के रक्षक ही कानून के भक्षक- चंद्र शेखर आजाद
वहीं भीम आर्मी के चीफ और नगीना से सांसद च्ंद्र शेखर आजाद ने कहा कि उत्तर प्रदेश के संभल जिले में पुलिस चौकी के अंदर इरफान की संदिग्ध मौत ने कानून-व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. परिजनों द्वारा लगाए गए पुलिस टॉर्चर के आरोपों ने न केवल प्रशासन को कटघरे में खड़ा किया है, बल्कि योगी सरकार की कार्यशैली पर भी करारा प्रहार किया है. यह घटना योगी सरकार की विफलता को उजागर करती है, जहां कानून के रक्षक ही कानून के भक्षक बनते जा रहे हैं.