Urdu Schools Converted To Hindi Medium: राजस्थान के अजमेर में आठ उर्दू माध्यम स्कूलों को हिंदी माध्यम में बदलने का फैसला किया गया है. इस फैसले के बाद मुस्लिम समुदाय में भारी गुस्सा देखा जा रहा है. सरकार का यह फैसला धार्मिक भेदभाव के रुप में भी देखा जा रहा है. हिंदी माध्यम में बदले गए कई उर्दू स्कूल दशकों से चल रहे हैं.
किन उर्दू स्कूलों को बंद किया गया?
इससे पहले भी भाजपा के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने दिसंबर 2024 में राज्य पुलिस को पुलिसिंग शब्दावली में उर्दू और फारसी शब्दों को हिंदी से बदलने का निर्देश दिया था. इसके बाद मुस्लिम समुदाय के साथ एक बार फिर बड़ा भेदभाव देखा गया, जब बीते 17 जनवरी को बीकानेर में माध्यमिक शिक्षा विभाग के निदेशक ने अजमेर के कई उर्दू माध्यम के स्कूलों को हिंदी माध्यम में बदलने करने का आदेश जारी कर दिया. हिंदी माध्यम में बदलने वाले स्कूलों में सरकारी प्राथमिक उर्दू स्कूल बडबाव, अंदरकोट और सरकारी बालिका उच्च प्राथमिक उर्दू स्कूल शामिल हैं. यह दोनों स्कूल सन् 1941 से चल रहे हैं.
‘उर्दू तालीम से दूर करने का आरोप’
इस फैसले के बाद स्थानीय लोगों ने जिला कलेक्टर से मुलाकात की. साथ ही राजस्थान के मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा के नाम एक मेमोरेंडम भी दिया है. स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया कि सरकार ऐसे फैसले बच्चों को उर्दू तालीम से दूर करने के लिए कर रही है.
वहीं इस फैसले के बाद, कांग्रेस नेता महेंद्र सिंह रलावता ने एक ज्ञापन सौंपते हुए कहा था कि उर्दू माध्यम अल्पभाषायी विद्यालयों का अस्तित्व कायम रखते हुए इनको समायोजित करने की कार्रवाई को निरस्त किया जाए. उन्होंने आगे कहा कि अजमेर जिले में दरगाह के पास स्थित अंदरकोट क्षेत्र लगभग अल्पसंख्यक आबादी का क्षेत्र है.