चुनाव की तारीख की घोषणा होने के बाद तमाम पार्टियों में सरगर्मी तेज हो गई है, साथ ही पार्टी के नेताओं के दल बदलने का सिलसिला भी जारी है और अब धरपकड़ की शुरुआत भी हो गयी है.
चुनाव की तमाम खबरों के बीच सपा के नाहिद हसन की गिरफ्तारी की खबर आई कि पुलिस ने सपा के उम्मीवार नाहिद हसन को गिरफ्तार कर लिया है. सपा ने नाहिद हसन को दोबारा कैराना सीट से टिकट दिया है. उनकी गिरफ्तारी की खबर से राजनीतिक गलियारे में चर्चा का माहौल बना हुआ है और तमाम पार्टियों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला भी शुरू हो गया है.
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने ट्विट करके सबसे पहले अपनी प्रतिक्रिया दी. अखिलेश ने लिखा कि ‘सपा व सहयोगियों पर FIR, प्रत्याशी की गिरफ्तारी व नेताओं को धमकी जैसे कृत्य दिखा रहे हैं कि भाजपा 100% हताश है.
उप्र के एक भी ग्रामीण या उप शहरी क्षेत्र में भाजपा नहीं जीत रही है और केवल एक शहरी सीट ही सुरक्षित समझ रही है, पर अबकी बार 99% शहरी वोटर भी भाजपा के खिलाफ हैं.’
दरअसल, पहले चरण के चुनाव के नामांकन के पहले दिन ही गैंगस्टर के मुकदमे में फरार चल रहे नाहिद हसन के प्रस्तावकों ने वकील की मौजूदगी में एसडीएम कोर्ट शामली में पर्चा दाखिल कराया। नाहिद हसन के प्रस्तावक मनीष और इंतजार ने एडवोकेट राशिद चौहान की मौजूदगी में एसडीएम कोर्ट से नामांकन पत्र लिया और दोपहर बाद उसे दाखिल करा दिया।
इसके बाद कैराना से सपा विधायक और गठबंधन प्रत्याशी नाहिद हसन को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस ने नाहिद को कोर्ट में पेश किया। कोर्ट ने नाहिद को 14 दिन न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया है.
जेल जाते समय नाहिद हसन का बयान भी सामने आया है.
‘मैं योगी की तरह फ़र्जी मुकदमों में रोने वाला नहीं हूं’
नाहिद हसन ने जनवरी 2020 में अदालत में सरेंडर किया था, वो काफी समय से फरार चल रहे थे, और करीब एक महीने से अधिक समय के बाद उन्हें जमानत मिली थी, साथ ही फरवरी 2021 में यूपी पुलिस ने नाहिद हसन, उनकी मां और 38 अन्य लोगों पर गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई की थी.
वर्ष-2012 में सहारनपुर जनपद के गंगोह क्षेत्र में चुनावी उड़नदस्ता आरओ प्रभारी अरविद प्रताप सिंह ने नाहिद हसन व रिजवान के खिलाफ 26 जनवरी 2012 को 107-116 सीआरपीसी के तहत कार्रवाई की थी.
19 मार्च 2014 को दारोगा धर्मपाल सिंह ने गढ़ीपुख्ता थाने में धारा आइपीसी 188 के तहत नाहिद हसन आदि समाजवादी कार्यकर्ताओं के खिलाफ मामला दर्ज कराया था। यह मामला जनसभा करने से संबंधित था.
वर्ष-2013 में तीन जुलाई को सकौती क्षेत्र के लेखपाल विनोद कुमार ने आइपीसी धारा 147,148, 353, 332, 364, 395, 504, 506 के तहत कैराना कोतवाली में दर्ज कराया था.
8 फरवरी वर्ष 2016 में आइपीसी धारा 147, 342, 504, 506 व 65, 66-ए आइटी एक्ट के तहत नोएडा निवासी मुकेश कुमार बजरंगी चौधरी ने मामला दर्ज कराया था.
17 जनवरी 2018 को कैराना कोतवाली में मोहम्मद अली ने आइपीसी 420, 467, 468, 379, 427, 504, 506 के तहत नाहिद हसन व अन्य के खिलाफ मामला दर्ज कराया था.
एक जुलाई 2018 को आइपीसी की धारा 504, 506 के तहत अरशद ने एफआईआर दर्ज कराई।
11 जुलाई 2019 को 323, 332, 352, 353, 427 व 307 के तहत थाना झिझाना में मामला दर्ज हुआ।
कैराना कोतवाली में 22 जुलाई 2019 को दारोगा सुधीर कुमार ने धारा 153, 153-क, 153-ख, 505 (2) के तहत मुकदमा दर्ज कराया।
जुलाई माह 2020 में कैराना में सराय की जमीन पर दुकान प्रकरण में भी विवादित बयान दे डाला था। यह मामला भी दर्ज कर लिया गया था। जबकि इससे तीन वर्ष पहले कांधला में भीड़ द्वारा ट्रेन रोकने व हंगामा करने के मामले में भी नाहिद हसन व भीड़ के खिलाफ रेलवे एक्ट के तहत मामला दर्ज हुआ था।
लेकिन चुनाव के बीच नाहिद हसन की गिरफ्तारी उनको सियासी फायदा पहुंचाने का काम करेगी या फिर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में ध्रुवीकरण की सियासत को धर देगी यह जानने के लिए थोङा इंतज़ार करना होगा।