Allahabad High Court on Muslim Marriage: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मुस्लिमों के दूसरी शादी को लेकर एक अहम टिप्पणी की है. हाईकोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि इस्लाम में मुस्लिम पुरुष को दूसरी शादी करने का तब तक कोई अधिकार नहीं है, जब तक कि वह सभी पत्नियों के साथ समान व्यवहार निभाने की क्षमता न रखता हो.
इस मामले पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने की टिप्पणी
इलाहाबाद हाईकोर्ट मुरादाबाद से जुड़े एक मामले की सुनवाई कर रही थी. जहां आवेदक फुरकान, खुशनुमा और अख्तर अली ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में मुरादाबाद की एसीजेएम कोर्ट में आठ नवंबर 2020 को अपने खिलाफ दाखिल चार्जशीट, संज्ञान एवं समन आदेश को रद्द करने के लिए याचिका दायर की है. इन तीनों के खिलाफ मुरादाबाद के मैनाठेर थाने में 2020 में IPC की धारा 376, 495, 120-बी, 504 और 506 में एफआईआर दर्ज हुई थी.
आरोप था कि फुरकान ने शिकायतकर्ता महिला से यह छिपाकर शादी की कि वह पहले से शादीशुदा है, और शादी के दौरान उसके साथ दुष्कर्म भी किया. हालांकि फुरकान के वकील ने कोर्ट के समक्ष तर्क दिया कि एफआईआर कराने वाली महिला ने खुद ही स्वीकार किया है कि उसने उसके साथ संबंध बनाने के बाद उससे शादी की है.
इसके साथ ही वकील ने IPC की धारा 494 का हवाला देते हुए यह दलील दी कि मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत एक मुस्लिम पुरुष चार शादियां कर सकता है, इसलिए दूसरी शादी अमान्य नहीं मानी जा सकती.
‘नियमों का उपयोग स्वार्थी उद्देश्य के लिए’
इस पर हाईकोर्ट ने कहा कि कुरान उचित कारण से बहुविवाह की अनुमति देता है और यह सशर्त बहुविवाह है. हालांकि, पुरुष आज उस नियमों का उपयोग स्वार्थी उद्देश्य के लिए करते है. कुरान द्वारा बहुविवाह की अनुमति दिए जाने के पीछे एक ऐतिहासिक कारण है.
हाईकोर्ट ने आगे कहा कि इस्लाम कुछ परिस्थितियों में और कुछ शर्तों के साथ एक से अधिक विवाह की अनुमति देता है लेकिन इस अनुमति का मुस्लिम कानून के विरुद्ध भी ‘व्यापक रूप से दुरुपयोग’ किया जाता है.
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने 18 पन्नों के फैसले में कहा कि फुरकान ने उसके साथ दूसरी शादी की है और दोनों ही मुस्लिम है इसलिए दूसरी शादी वैध है. आवेदकों के खिलाफ वर्तमान मामले में आईपीसी की धारा 376 के साथ 495/120-बी के तहत अपराध नहीं बनता है.
वहीं इसके साथ ही हाईकोर्ट ने कोर्ट ने विपक्षी पक्ष को नोटिस जारी करते हुए मामले की अगली सुनवाई 26 मई 2025 से शुरू होने वाले सप्ताह सूचीबद्ध करने का आदेश दिया.