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दिल्ली हाई कोर्ट ने उमर खालिद समेत 8 आरोपियों की जमानत याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा.. जानें क्या- क्या हुआ?

दिल्ली पुलिस की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि अगर आप देश के खिलाफ कुछ कर रहे हैं तो आपको तब तक जेल में रहना चाहिए जब तक दोष साबित न हो या आप बरी न हो जाएं.

Delhi Riots 2020: दिल्ली दंगों के साजिश मामले में उमर खालिद समेत आठ आरोपियों की जमानत याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई हुई, जहां हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया. सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि अगर आप देश के खिलाफ कुछ कर रहे हैं तो आपको तब तक जेल में रहना चाहिए जब तक दोष साबित न हो या आप बरी न हो जाएं.

कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा

दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस नवीन चावला और जस्टिस शालिंदर कौर की बेंच ने उमर खालिद, शरजील इमाम, गुलफिशा फातिमा, मोहम्मद सलीम खान, शिफा-उर-रहमान, अथर खान और खालिद सैफी की जमानत याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित रख लिया.

तीन दिन में लिखित दलीलें पेश करने का आदेश

इसके साथ ही दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद और जस्टिस हरीश वैद्यनाथन शंकर की दूसरी बेंच ने तसलीम अहमद की जमानत याचिका पर भी फैसला सुरक्षित रखा. शादाब अहमद की जमानत याचिका पर सुनवाई आज यानी कि गुरुवार को शाम चार बजे होगी. इसके साथ ही अदालत ने सभी पक्षों को तीन दिन में अपनी लिखित दलीलें दाखिल करने का आदेश दिया है.

‘यह सामान्य दंगा नहीं बल्कि एक सुनियोजित साजिश’

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट के सामने दलील दी कि यह मामला सिर्फ एक सामान्य दंगा नहीं बल्कि एक सुनियोजित और देश को बदनाम करने की साजिश है. उन्होंने कहा कि दंगे अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति की भारत यात्रा के दौरान शुरू हुए ताकि भारत को विश्व स्तर पर शर्मिंदा किया जा सके.

दिल्ली पुलिस ने आगे कहा

दिल्ली पुलिस की ओर से पेश तुषार मेहता ने आगे दलील देते हुए कहा कि शरजील इमाम, उमर खालिद, खालिद सैफी, शिफा उर रहमान, अतर खान, मोहम्मद सलीम खान, और गुलफिशा फातिमा समेत अन्य आरोपी एक- दूसरे के संपर्क में थे और व्हाट्सएप ग्रुप के जरिए पूरी साजिश को अंजाम दे रहे थे.

‘पहले से प्लांनिंग की गई हिंसा थी’

तुषार मेहता ने यह भी कहा कि यह एक पहले से प्लांनिंग की गई हिंसा थी जिसकी समय सीमा भी जानबूझकर तय की गई थी. शरजील इमाम ने कहा था कि हमारे पास चार हफ्ते हैं, दिल्ली को दहला देना है. यह शब्द किसी सामान्य आंदोलन के नहीं हो सकते.

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