Supreme Court On Mumbai Serial Local Train Blasts 2006: बॉम्बे हाईकोर्ट ने बीते 21 जुलाई को 2006 मुंबई लोकल ट्रेन ब्लास्ट मामले में सभी 12 मुस्लिम आरोपियों को बाइज्जत बरी कर दिया था. हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद महाराष्ट्र राज्य सरकार ने आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. इस मामले में आज यानी कि गुरूवार, 24 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई, जहां कोर्ट ने बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी. हालंकि सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा कि बरी हुए लोग वापस जेल नहीं जाएंगे.
‘रिहा हुए लोगों को वापस जेल नहीं भेजा जाएगा’
लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा कि जेल से रिहा हुए लोगों को वापस जेल नहीं भेजा जाएगा. सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा कि हमें सूचित किया गया कि सभी प्रतिवादियों (मुलजिमों) को रिहा कर दिया गया है. उन्हें वापस जेल भेजने का कोई सवाल ही नहीं उठता है.
महाराष्ट्र सरकार ने क्या कहा ?
महाराष्ट्र राज्य की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष कहा कि इस फैसले में हाईकोर्ट द्वारा की गई कुछ टिप्पणियां मकोका (महाराष्ट्र कंट्रोल ऑफ ऑर्गेनाइज्ड क्राइम एक्ट) के तहत लंबित अन्य मुकदमों को प्रभावित कर सकती हैं. हालांकि तुषार मेहता ने भी रिहा हुए लोगों को वापस जेल भेजने की बात पर सुप्रीम कोर्ट में ज्यादा जोर नहीं दिया.
सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा..
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की मांग पर सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी. सुप्रीम कोर्ट ने इसके साथ ही सभी आरोपियों को नेटिस जारी करते हुए अपना पक्ष रखने के लिए कहा. आरोपियों के पक्ष रखने के बाद ही इस मामले पर सुवाई होगी.
बॉम्बे हाईकोर्ट ने सभी बेकसूर लोगों को किया रिहा
बता दें कि बॉम्बे हाईकोर्ट ने 21 जुलाई को साल 2006 में हुए मुंबई लोकल ट्रेन सीरियल ब्लास्ट मामले में लगभग 18 साल बाद सभी 12 मुस्लिम आरोपियों को बरी कर दिया था. विशेष टाडा न्यायालय ने सभी आरोपियों को दोषी ठहराया था. पांच आरोपियों को मौत की सजा और सात को उम्र कैद की सजा सुनाई गई थी.
2006 में हुआ था ब्लास्ट
11 जुलाई 2006 को मुंबई वेस्टर्न रेलवे की सात लोकल ट्रेनों में मात्र 11 मिनट के अंदर पर बम बलास्ट हुए थे. इसमें सीरियल बम बलास्ट में 189 लोगों की जान चली गई थी, जबकि 827 से अधिक यात्री घायल हुए थे. विस्फोट माटुंगा, माहिम, बांद्रा, खार, जोगेश्वरी, भोईंदर और मिरा रोड में हुए थे.
इस घटना के बाद महाराष्ट्र एटीएस ने कुल 13 आरोपियों को गिरफ्तार किया था, जबकि 15 अन्य को फरार घोषित किया गया था. इसके बाद जांच एजेंसी ने महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (MCOCA) और गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के तहत मामला दर्ज किया था.

