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‘मुसलमानों को निशाना बनाकर वोटर लिस्ट से हटाया जा रहा है…’ SIR प्रक्रिया पर बोले जमात के उपाध्यक्ष सलीम इंजीनियर

जमात के उपाध्यक्ष सलीम इंजीनियर ने कहा कि इस प्रक्रिया का साफ मकसद एक खास समुदाय को निशाना बनाकर उन्हें वोटर लिस्ट से हटाना है. इसका मकसद एक और भी है कि वैसे वोटर्स को कम किया जाए जिनका वोट उन्हें (बीजेपी) नहीं मिलता है.

Saleem Engineer On SIR Process: बिहार में चुनाव आयोग के SIR प्रक्रिया पर हंगामा मचा हुआ है. तमाम विपक्षी राजनीतिक पार्टियां इसके खिलाफ प्रदर्शन कर रही है. इसी बीच जमात- ए- इस्लामी हिंद के उपाध्यक्ष प्रो. सलीम इंजीनियर ने कहा कि बिहार में चुनाव आयोग जिस तरह से SIR प्रक्रिया को कर रहा है, उससे यह अनुमान है कि बड़ी संख्या में वैलिड वोटर्स को बाहर कर दिया जाएगा, या फिर बाहर हो जाएंगे. यह भी देखा जा रहा है कि जिस इलाके में मुस्लिमों की आबादी ज्यादा है वहां ज्यादातर वैलिड वोटर्स के बाहर होने का खतरा है.

‘चुनाव आयोग स्वतंत्र काम नहीं कर रहा है’

जमात के उपाध्यक्ष सलीम इंजीनियर ने कहा कि चुनाव आयोग ने शुरू में वैलिड वोटर्स साबित करने के लिए 11 दस्तावेजों की सूची दी थी, जिसमें वोटर कार्ड, आधार कार्ड, राशन कार्ड, रोजगार कार्ड आदि को वैलिड नहीं माना जा रहा था. जिसका पूरे देश में विरोध हुआ. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने गाइडलाइन जारी की, लेकिन उस आदेश को नहीं माना जा रहा है. जिस वजह से चुनाव आयोग पर एक बड़ा सवाल खड़ा हो रहा है. चुनाव आयोग स्वतंत्र काम करने के बजाय मौजूदा सरकार (BJP सरकार) के दबाव और एक खास राजनीतिक मकसद से काम कर रहा है.

‘BLOs खुद कर रहे हैं वोटर्स के सिग्नेचर’

सलीम इंजीनियर ने यह भी कहा कि खबर आ रही है कि BLOs पर इतना दबाव बनााया जा रहा है, वह खुद फॉर्म में लोगों का सिग्नेचर कर रहे हैं. लोगों को इसकी जानकारी ही नहीं हैं, जब इस पर जब सवाल पूछा जा रहा है तो वो बता रहें हैं कि उनका फॉर्म भरा जा चुका है.

‘मुसलमानों को निशाना बनाकर वोटर लिस्ट से हटाया जा रहा है’

प्रो. सलीम इंजीनियर ने आगे कहा कि बिहार की सीमांचल इलाके में ऐसी भी शिकायतें सामने आई है, जहां दूसरे इलाके में जिस डॉक्यूमेंट को वैलिड माना जा रहा है, उस डॉक्यूमेंट को सीमांचल इलाके में वैलिड नहीं माना जा रहा है. इससे साफ होता है कि मुसलमानों को निशाना बनाकर वोटर लिस्ट की सूची से हटाया जा रहा है. इस प्रक्रिया का साफ मकसद एक खास समुदाय को निशाना बनाकर उन्हें वोटर लिस्ट से हटाना है. इसका मकसद एक और भी कि वैसे वोटर्स को कम किया जाए जिनका वोट उन्हें (बीजेपी) नहीं मिलता है.

‘चुनाव आयोग को यह अधिकार नहीं है…’

सलीम इंजीनियर ने कहा कि यह प्रक्रिया एक तरह से नागरिकता के लिए भी किया जा रहा है, हालांकि चुनाव आयोग को यह अधिकार नहीं है कि वो यह तय करे कि कौन इस देश का नागरिक और कौन नागरिक नहीं है. नागरिकता को तय करने के लिए अलग कानून बने हुए हैं, यह गृह मंत्रालय की जिम्मेदारी है. इसका चुनाव से कोई संबंध नहीं हैं. चुनाव आयोग की जिम्मेदारी है कि वह ज्यादा से ज्यादा वोटर्स को शामिल करे और कोई वैलिड वोटर मतदान के लिए न छूटे.

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