Malegaon Blast Case 2008: मालेगांव बम ब्लास्ट 2008 मामले पर सभी आरोपियों को सबूत के अभाव में बरी कर दिया है. इस मामले पर जमात-ए-इस्लामी हिंद के उपाध्यक्ष मलिक मोतसिम खान ने कहा कि जांच एजेंसियों ने आरोपियों को बचाने का काम काम किया है. यदि इस केस के आरोपी बरी हो गए हैं तो इसका जिम्मेदार कौन है. हमारी मांग है कि मालेगांव बम ब्लास्ट 2008 केस के पूरे जांच की एक न्यायायिक जांच हो. यदि ऐसे ही आरोपियों को बिना तलाश और जांच किए ही छोड़ दिया जाएगा तो देश में सामाजिक और राजनीतिक स्थिति क्या होगी.
‘शहीदों के साथ इंसाफ कौन करेगा?’
जमात के उपाध्यक्ष मलिक मोतसिम खान ने कहा कि इस धमाके में जो लोग शहीद हो गए और जो घायल हो गए उनके साथ इंसाफ कौन करेगा. ऐसे फैसलों के बाद लोगों का न्यायायिक सिस्टम और जांच एजेंसियों पर विश्वास खत्म हो रहा है.
‘महाराष्ट्र सराकर इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएगी?’
मलिक मोतसिम खान ने आगे सवाल उठाते कहा कि क्या NIA बॉम्बे हाईकोर्ट जाएगी या नहीं जाएगी और महाराष्ट्र सराकर इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएगी? इस केस के फैसले ने बहुत सवाल खड़े कर दिए हैं.
कोर्ट ने आरोपियों को किया बरी
बता दें कि महाराष्ट्र के चर्चित मालेगांव ब्लास्ट मामले में महाराष्ट्र की विशेष NIA कोर्ट ने 31 जुलाई को बीजेपी की पूर्व सांसद प्रज्ञा ठाकुर (Pragya Singh Thakur) और कर्नल पुरोहित समेत सभी 7 आरोपियों को बरी कर दिया है. मालेगांव में मस्जिद के सामने हुए इस धामके में छह मुस्लिमों की मौत हो गई थी, जबकि 100 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे.
कब हुआ था ब्लास्ट, कितने लोग मारे गए थे?
बता दें कि महाराष्ट्र का चर्चित मालेगांव ब्लास्ट 29 सितंबर 2008 को रमजान के महीने में हुआ था. मालेगांव में मस्जिद के सामने करीब 9:35 बजे जोरदार बम धमाका हुआ था. इस धमाके में 6 लोगों की मौके पर मौत हो गई, जबकि 100 से ज्यादा लोग गंभीर रूप से जख्मी हुए थे.
इन छह मुस्लिमों की धमाके से हुई थी मौत
इस ब्लास्ट में सैय्यद अजहर (19 साल), मुश्ताक शेख यूसुफ (24 साल), शेख रफीक शेख मुस्तफा (42 साल) फरहीन उर्फ शगुफ्ता शेख लियाकत (20 साल) इरफाल जियाउल्ला खान (20 साल) और हारुन मोहम्मद शाह (70 साल) मारे गए थे.
मालेगांव ब्लास्ट मामले की जांच पहले महाराष्ट्र एटीएस ने की और बाद में इसे एनआईए को सौंप दिया गया. एनआईए की रिपोर्ट के मुताबिक 2008 मालेगांव ब्लास्ट में इस्तेमाल हुई मोटरसाइकिल पूर्व सांसद प्रज्ञा ठाकुर के नाम पर रजिस्टर्ड थी.