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जमीयत उलमा–ए–हिंद ने असम के CM हिमंता बिस्वा शर्मा को हटाने और उनपर हेट स्पीच का मुकदमा दर्ज करने की मांग की

जमीअत उलमा-ए-हिंद की कार्यकारी समिति की सभा में असम में पचास हजार परिवारों को बेघर करने और फिलिस्तीन में जारी नरसंहार पर प्रस्ताव पारित किया गया.

Jamiat Ulama-i-Hind demanded Assam CM removal: जमीयत उलमा–ए–हिंद की कार्यकारी समिति की एक महत्वपूर्ण बैठक जमीअत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद असद मदनी की अध्यक्षता में बुधवार शाम को ऑनलाइन आयोजित की गई, जिसमें देशभर से जमीअत उलमा-ए-हिंद की कार्यकारी समिति के सदस्यों और विशेष रूप से आमंत्रित लोगों ने जूम के माध्यम से भाग लिया. इस दौरान असम की मौजूदा हालातों और फिलिस्तीन में जारी नरसंहार जैसे वर्तमान समय के सुलगते हुए विषयों पर विस्तार से चर्चा की गई और महत्वपूर्ण फैसले किए गए.

इसके साथ ही, जमीअत के सदस्य बनाओ अभियान के बाद सभी चुनावी मामलों के लिए संविधान के अनुसार 56 (म) चुनावी बोर्ड के गठन और इसके नियमों व संहिता की रूपरेखा पर विचार हुआ और इसे स्वीकृति प्रदान की गई.

‘असम के मुख्यमंत्री को तत्काल बर्खास्त किया जाए’

जमीयत उलमा–ए–हिंद की कार्यकारी समिति ने असम में जारी बेदखली और पचास हजार से अधिक परिवारों
को बेघर करने जैसी कार्रवाइयों पर पर गहरी चिंता व्यक्त की. अपने प्रस्ताव में, कार्यकारी समिति ने कड़ा रुख अपनाते
हुए देश की संवैधानिक संस्थाओं विशेषकर भारत की राष्ट्रपति और भारत के मुख्य न्यायाधीश से मांग की कि संविधान
की रक्षा के लिए असम के मुख्यमंत्री को तत्काल बर्खास्त किया जाए और उनके विरुद्ध हेट स्पीच (नफरती भाषण) के
मामले दर्ज किए जाएं. कार्यकारी समिति की यह सभा यह स्पष्ट करना आवश्यक समझती है कि जमीअत उलमा-ए-
हिंद ने शुरू से ही किसी भी सरकारी जमीन पर अवैध कब्जे का समर्थन नहीं करती, लेकिन बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है कि
असम में अमानवीय, अन्नयायपूर्ण व्यवहार, धर्म के आधार पर भेदभाव और घृणात्मक बयानों ने बेदखली की इस पूरी
प्रक्रिया को मानवीय सहानुभूति और न्याय के दायरे से बाहर कर दिया है.

‘विस्थापित किए गए सभी परिवार शत-प्रतिशत मुसलमान’

जमीयत उलमा-ए-हिंद ने कहा कि असम के मुख्यमंत्री का हालिया बयान, जिसमें उन्होंने कहा है कि “हम केवल मियां-मुसलमानों को बेदखल कर रहे हैं”, इस बात का स्पष्ट प्रमाण है कि यह कार्रवाइयां मुस्लिम दुश्मनी की भावना पर आधारित हैं. इसका एक गंभीर उदाहरण यह भी है कि अब तक विस्थापित किए गए पचास हजार से अधिक परिवार शत-प्रतिशत मुसलमान हैं. यह रवैया न केवल भारत के संविधान के विपरीत है, बल्कि उच्चतम न्यायालय के स्पष्ट दिशा-निर्देशों का भी खुला उल्लंघन है.

‘बेघर हुए लोगों को पुनर्वास कराया जाए’

कार्यकारी समिति ने यह भी मांग की कि अब तक उजाड़े गए सभी परिवारों के लिए सरकार तत्काल वैकल्पिक आवास
और पुनर्वास की व्यवस्था करे. बेदखली की किसी भी कार्रवाई से पहले पारदर्शी और निष्पक्ष सर्वेक्षण कराया जाए,
सभी कानूनी आवश्यकताओं व मानवीय मूल्यों का पूरा सम्मान किया जाए. मंत्रियों और सरकारी प्रतिनिधियों द्वारा
भेदभावपूर्ण और घृणा-आधारित बयानों पर तत्काल रोक लगाई जाए.

फिलिस्तीन में जारी नरसंहार रोकने की मांग

कार्यकारी समिति ने फिलिस्तीन में जारी नरसंहार और अमानवीय अत्याचारों पर गहरा दुःख और शोक व्यक्त
करते हुए कहा कि लगभग एक लाख लोगों की हत्या और आम नागरिकों का भूख-प्यास से मरना आतंकवाद के अत्यंत
घिनौने उदाहरण हैं. इसके अलावा,’ग्रेटर इजराइल’का उकसावा और गाजा पर पूर्ण कब्जे की घोषणा फिलिस्तीन को
मिटाने और शेष भूमि पर कब्जा करने की साजिश है. गाजा में लंबी घेराबंदी और सहायता प्रतिबंधों ने लाखों निर्दोष
लोगों को मौत की कगार पर ला खड़ा किया है. खाने-पीने की वस्तुएं, दवा और बुनियादी जरूरतों की आपूर्ति को
रोकना मानवीय सिद्धांतों का स्पष्ट उल्लंघन है. जमीअत उलमा-ए-हिंद अरब जगत और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील
करती है कि इजराइली आक्रमकता के विरुद्ध एकजुट हों, उसकी विस्तारवादी योजनाओं को विफल करें, पवित्र स्थलों
की रक्षा करें और इजराइल को मजबूर करें कि वह मार्गों को खोले, सहायता सामग्री की मुक्त आपूर्ति सुनिश्चित की जाए
और युद्धविराम का पालन करे. यह सभा इस बात के लिए चेताती है कि विश्व शक्तियों की निष्क्रियता और अधिक
अपराधों को और बढ़ावा देती है.

इस अवसर पर कार्यकारी समिति ने मौलाना रहमतुल्ला मीर कश्मीरी की माता माजिदा और जामिया अल किरअत
किफलैता के संस्थापक और मोहतमिम कारी इस्माइल बिस्मिल्लाह, हाजी मोहम्मद हाशिम तमिलनाडु, मुफ्ती दबीर
हसन बीरभूमि, मौलाना इलियास कासमी, मौलाना दाऊद अमीनी और डॉ. सईदुद्दीन कासमी के निधन पर शोक व्यक्त किया और मगफिरत के लिए दुआ की.

इससे पूर्व, जमीअत उलमा-ए-हिंद के महासचिव मौलाना मोहम्मद हकीमुद्दीन कासमी ने चुनाव बोर्ड के नियमों
और संहिता का मसौदा प्रस्तुत किया, जिसे आंशिक संशोधनों के साथ पारित किया गया. इस अवसर पर, कार्यकारी
समिति ने प्रादेशिक संगठनों में निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव कराने हेतु चुनाव बोर्ड को भी मंजूरी दी.

जमीयत उलमा–ए–हिंद के ये प्रमुख लोग रहे शामिल

इस बैठक में जमीअत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी और महासचिव मौलाना हकामुद्दान कासमी के
अलावा उपाध्यक्ष जमीअत उलमा-ए-हिंद मौलाना मोहम्मद सलमान बिजनौरी, उपाध्यक्ष जमीअत उलमा-ए-हिंद
मौलाना मुफ्ती अहमद देवला, मौलाना कारी शौकत अली, कोषाध्यक्ष जमीअत उलेमा-ए-हिंद, मौलाना रहमतुल्लाह मीर कश्मीरी, अध्यक्ष मजलिस-ए-काइमा जमीअत उलमा-ए-हिंद, नायब अमीर-उल-हिंद मुफ्ती सैयद मोहम्मद सलमान मंसूरपुरी, मुफ्ती अब्दुल रहमान अमरोहा, अध्यक्ष जमीअत उलमा उत्तर प्रदेश, मौलाना बदरुद्दीन अजमल, अध्यक्ष जमीअत उलमा असम, मौलाना सिद्दीकुल्ला चौधरी, अध्यक्ष जमीअत उलमा-ए-पश्चिम बंगाल, मौलाना मोहम्मद आकिल गढ़ी दौलत, अध्यक्ष जमीअत उलमा पश्चिमी उ.प्र., मौलाना हाफिज नदीम सिद्दीकी, अध्यक्ष जमीअत उलेमा महाराष्ट्र, मौलाना रफीक अहमद मजाहरी, अध्यक्ष जमीअत उलेमा गुजरात, हाजी मोहम्मद हारून, अध्यक्ष जमीअत उलमा मध्यप्रदेश, मुफ्ती इफ्तिखार अहमद कासमी, अध्यक्ष जमीअत उलमा कर्नाटक, मौलाना शम्सुद्दीन बिजली, महासचिव जमीअत उलमा कर्नाटक, मुफ्ती मोहम्मद जावेद इकबाल, अध्यक्ष जमीअत उलमा बिहार, मौलाना मोहम्मद नाजिम, महासचिव जमीअत उलमा बिहार, मौलाना अब्दुल्लाह मारूफी, उस्ताद दारुल उलूम देवबंद, कारी मोहम्मद अमीन,अध्यक्ष जमीअत उलमा राजस्थान, मौलाना मंसूर काशिफी, अध्यक्ष जमीयत उलेमा तमिलनाडु, मौलाना मोहम्मद इब्राहीम, अध्यक्ष जमीअत उलेमा केरल, मौलाना नियाज अहमद फारूकी, सचिव जमीअत उलमा-ए-हिंद, मौलाना याह्या करीमी, महासचिव जमीअत उलमा हरियाणा, पंजाब और हिमाचल प्रदेश, मौलाना मुफ्ती मोहम्मद अफ्फान मंसूरपुरी अध्यक्ष दीनी तालीमी बोर्ड, मौलाना कलीमुल्लाह साहब हंसवर सचिव जमीअत उलमा उत्तर प्रदेश, हाफिज ओबैदुल्लाह बनारस महासचिव जमीअत उलमा पूर्वी उत्तर प्रदेश, मौलाना अब्दुल कुद्दूस पालनपुरी उपाध्यक्ष जमीअत उलमा गुजरात ने भाग लिया.

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