Shoe attack on CJI BR Gavai: सुप्रीम कोर्ट के अंदर भारत के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई पर हमला करने वाले वकील राकेश किशोर का बीजेपी नेता भास्कर राव (BJP leader Bhaskar Rao) ने खुलकर समर्थन और हिम्मत की तारीफ की. बीजेपी नेता द्वारा आरोपी वकील का समर्थन करने के बाद राजनीतिक गलियारों में हंगामा मच गया है. बता दें कि वकील राकेश किशोर CJI बीआर गवई पर एक सुनवाई के दौरान जूता फेंक कर हमला करने की कोशिश की थी.
आरोपी वकील राकेश किशोर की हिम्मत की तारीफ की
बेंगलुरु के पूर्व पुलिस कमिश्नर और बीजेपी नेता भास्कर राव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर कहा कि भले ही यह क़ानूनी रूप से और नैतिक रूप से गलत है, लेकिन मैं आपकी हिम्मत की सराहना करता हूं कि आपने इस उम्र में भी एक स्टैंड लिया और उसके नतीजों की परवाह किए बिना उस पर कायम रहे.
Even if it is Legally & Terribly Wrong, I admire your courage, at your age, to take a stand and live by it, irrespective of Consequences 🙏
— Bhaskar Rao (@Nimmabhaskar22) October 7, 2025
एकतरफ जहां लोग भारत के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई पर हमले की निंदा कर रहें हैं वहीं दूसरी तरफ दक्षिणपंथी और बीजेपी के कुछ नेता इस घटना को सही ठहरा रहे हैं.
6 अक्टूबर को CJI पर हुआ है हमला
बता दें कि बीते 6 अक्टूबर को CJI बीआर गवई की बेंच एक मामले की सुनवाई कर रही थी. इसी दौरान वकील राकेश किशोर ने डेस्क के सामने जाकर अपना जूता निकाला और CJI बीआर गवई की ओर फेंका, हालांकि जूता CJI तक नहीं पहुंचा. वहां मौजूद सुरक्षाकर्मियों ने वकील को तुरंत पकड़ लिया. बाहर निकलते समय वकील ने नारा लगाते हुए कहा- ‘सनातन का अपमान नहीं सहेगा हिंदुस्तान.’
CJI बीआर गवई पर हुआ हमला देशभर में चर्चा का विषय बन गया है. यह चर्चा इसलिए भी ज्यादा बढ़ गई है क्योंकि CJI बीआर गवई दलित समुदाय से ताल्लुक रखते हैं. ऐसे में लोग इस घटना को जातिवादी मानसिकता से प्रेरित बता रहे हैं.
बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने लिया एक्शन
बता दें कि इस घटना के बाद बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) के अध्यक्ष मनन कुमार मिश्रा ने पत्र जारी करते हुए कहा कि राकेश किशोर की हरकतों ने BCI के प्रोफेशनल आचरण और शिष्टाचार से जुड़े नियमों के साथ-साथ न्यायालय की गरिमा का भी उल्लंघन किया है.
बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने सस्पेंशन आदेश के तहत राकेश किशोर को देश के किसी भी अदालत, ट्रिब्यूनल या अथॉरिटी में पेश होने, वकालत करने, दलील देने या प्रैक्टिस करने से अगले आदेश तक रोक दिया है.

