Delhi High Court On Jamia Teachers Association: दिल्ली हाईकोर्ट ने जामिया मिलिया इस्लामिया (Jamia Millia Islamia) द्वारा जामिया शिक्षक संघ (Jamia Teachers Association) को भंग करने के फैसले को रद्द कर दिया. हाईकोर्ट ने यूनिवर्सिटी के इस कदम को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19(1)(सी) के तहत संघ के स्वशासन (Self-Governance) के संवैधानिक अधिकार का उल्लंघन बताया. इस संघ का गठन 1967 में किया गया था.
लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस सचिन दत्ता ने कहा कि यूनिवर्सिटी की यह कार्रवाई संविधान के अनुच्छेद 19(1)(c) के तहत जामिया शिक्षक संघ (JTA) के स्वशासन के मौलिक अधिकार का उल्लंघन करती है.
बता दें कि अनुच्छेद 19(1)(c) में संगठन बनाने और चलाने का अधिकार शामिल है. हालांकि, यूनिवर्सिटी ने “संस्थानिक अनुशासन” और “कानूनी मानकों के अनुरूपता” का हवाला देते हुए नवंबर 2022 में JTA के आगामी चुनाव रद्द करते हुए संघ को भंग कर दिया था.
यूनिवर्सिटी ने कोर्ट में क्या कहा?
जामिया मिलिया इस्लामिया ने दलील दी कि JTA का संविधान विश्वविद्यालय की किसी भी वैधानिक संस्था द्वारा औपचारिक रूप से मान्यता प्राप्त नहीं है. यूनिवर्सिटी ने जामिया मिलिया इस्लामिया अधिनियम, 1988 की धारा 23(J) का हवाला देते हुए कहा कि उसके पास शिक्षकों और कर्मचारियों के संघों को स्थापित करने, मान्यता देने, नियंत्रित करने और आवश्यकता पड़ने पर भंग करने का अधिकार है.
यूनिवर्सिटी ने अधिनियम की धारा 6(xxiv) का भी हवाला देते हुए कहा कि यूनिवर्सिटी को ऐसे सभी अन्य कार्य और चीजें करने का अधिकार देता है जो यूनिवर्सिटी के सभी या किसी भी उद्देश्य की प्राप्ति के लिए आवश्यक, प्रासंगिक या सहायक हो सकते हैं.
हाईकोर्ट ने यूनिवर्सिटी के दलील को खारिज कर दिया
हालांकि, हाईकोर्ट ने इस दलील को खारिज कर दिया और कहा कि ऐसे प्रावधानों का पालन संविधान की सीमाओं के भीतर ही किया जा सकता है और वे मौलिक अधिकारों से ऊपर नहीं हो सकते.
हाईकोर्ट ने कहा कि प्रतिवादी यूनिवर्सिटी की विवादित कार्रवाई में संविधान के अनुच्छेद 19(4) में बताए गए किसी भी आपात कारण का उल्लेख नहीं है, बल्कि ये कदम प्रशासनिक प्रकृति के लगते हैं, जिनका किसी वैध नियामक उद्देश्य से कोई तार्किक संबंध नहीं है.

