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जमाअत के महिला विंग द्वारा ‘सीमाओं से परे देखभाल: एक बेहतर समाज की ओर’ विषय पर वेबिनार का आयोजन

'सीमाओं से परे देखभाल: एक बेहतर समाज की ओर' वेबिनार में अलग-अलग क्षेत्र के वक्ताओं ने हिस्सा लिया, जिन्होंने आधुनिक दुनिया में दया, इमोशनल बॉन्डिंग और इंसानी जिम्मेदारी पर बात की. इस वेबिनार में एक स्पस्ट सन्देश दिया गया: इंसानियत की कोई सीमा नहीं होती.

नई दिल्ली, 18 नवंबर 2025: जमाअत-ए-इस्लामी हिंद के राष्ट्रीय महिला विंग ने “सीमाओं से परे देखभाल: एक बेहतर समाज की ओर” विषय पर एक नेशनल ऑनलाइन वेबिनार का आयोजन किया. इस वेबिनार में अलग-अलग क्षेत्र के वक्ताओं ने हिस्सा लिया, जिन्होंने आधुनिक दुनिया में दया, इमोशनल बॉन्डिंग और इंसानी जिम्मेदारी पर बात की. इस वेबिनार में एक स्पस्ट सन्देश दिया गया: इंसानियत की कोई सीमा नहीं होती. दया, सहानुभूति और भावात्मक जुड़ाव एक बेहतर भविष्य की नींव हैं, और इन्हें बनाए रखना सभी नागरिकों की मिली-जुली जिम्मेदारी है.

जमात की नेशनल सेक्रेटरी ने क्या कहा?

सिंपोजियम का विषय इंसानी रिश्तों को दोबारा बहाल करने पर था जबकि समाज तेजी से बिखर रहा है. जमाअत-ए-इस्लामी हिंद की नेशनल सेक्रेटरी रहमतुन्निसा ए ने अपने अध्यक्षीय भाषण में जोर दिया कि ‘पड़ोसियों के अधिकार’ मुहीम का मकसद सहानुभूति को फिर से जगाना, लोगों के बीच दूरियां कम करना और इंसानियत को एक जीती-जागती सामाजिक मूल्यों के तौर पर फिर से लाना है. उन्होंने कहा कि यह सिंपोजियम भी इसी विजन के साथ आयोजित किया गया था. उन्होंने कहा कि भावात्मक उदासीनता और बेपरवाही बड़ी चिंता बन गई है, और एक स्वस्थ्य समाज के लिए दिलों को फिर से जोड़ना जरूरी है.

चर्चा की शुरुआत विजयवाड़ा जमाअत की सिटी प्रेसिडेंट कनिता सलमा ने की. उन्होंने बताया कि किस तरह आधुनिक लाइफस्टाइल ने लोगों के बीच अनदेखी रुकावटें पैदा कर दी हैं. अनगिनत वर्चुअल कनेक्शन के बावजूद, आज लोग अपने आस-पास के लोगों की जरूरतों, भावनाओं और खामोश मुश्किलों से अनजान होते जा रहे हैं.

स्पेस किड्ज इंडिया की संस्थापक और CEO डॉ. श्रीमती केसन ने स्पेस साइंस के फील्ड से एक नया नजरिया पेश किया. उन्होंने एयरोस्पेस सेक्टर में महिलाओं की कमी की ओर ध्यान दिलाया और मिशन सैटेलाइट स्पेसक्राफ्ट जैसी ग्लोबल पहल के बारे में बताया, जहां 108 देशों के बच्चे धर्म या जाति भेदभाव के बिना मिलकर काम करते हैं. उन्होंने दर्शकों को याद दिलाया कि जहां भौगोलिक सीमाएं जमीनों को बांटती हैं, वहीं इंसान का दिल खुला और सीमा रहित होना चाहिए.

‘भाईचारा और एकजुटता की जरूरत’

समाज सेविका, शिक्षाविद, लेखिका और कवयित्री फरीदा रहमतुल्ला खान ने इंसानों के भाईचारा की जरूरतों और एकजुटता के बारे में बताया. उन्होंने जवाहरलाल नेहरू के विजन ‘जाति और धर्म से परे एक देश’ को याद किया, और इस बात पर जोर दिया कि हाशिये पर रहने वालों को खाना, साफ पानी और रहने की जगह जैसी बुनियादी जरूरतें देना हर समाज की नैतिक जिम्मेदारी है.

राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता, गोल्ड मेडलिस्ट और सलाहकार डॉ. सुवर्णा फोंसेका ई एंटाओ ने आपसी रिश्तों में भावात्मक गर्मजोशी बढ़ाने के बारे में बात की. उन्होंने बताया कि देखभाल की कोई सीमा नहीं होती. मुस्कुराहट, मधुर शब्द या ध्यान से सुनने जैसे आसान काम भी परेशान दिल को ठीक कर सकते हैं. उन्होंने लोगों को दिन में कम से कम एक घंटा दया के कामों के लिए निकालने के लिए बढ़ावा दिया, जो समाज को ऊपर उठा सकते हैं और बदल सकते हैं.

जीवन संरेखण कोच, लेखिका और TEDx वक्ता स्वाति तिवारी ने एक मनोवैज्ञानिक नजरिया पेश किया, जिसमें कहा गया कि स्वार्थी सामाजिक बदलाव लोगों के अंदर से शुरू होता है. अगर पारिवारिक पर दिल नरम हों और नजरिया बेहतर हो, तो बड़ा समुदाय अपने आप ज़्यादा इंसानियत वाला और जुड़ा हुआ बन जाता है.

जमाअत-ए-इस्लामी हिंद के महिला विंग की कार्यपालिका कमेटी सदस्य और बोर्ड ऑफ इनोवेटिव एजुकेशन गोवा की सचिव मीनाज बानो ने परिवारों और समुदाय में बढ़ती भावात्मक दूरियों पर गहरी चिंता जताई. उन्होंने कहा कि जहां भौतिक दीवारें हमेशा से थीं, वहीं आज दिलों ने अपनी दूरियां खुद बना ली है. गाजा जैसी वैश्विक त्रासदियों का जिक्र करते हुए, उन्होंने जोर दिया कि हमदर्दी को भूगोल से ऊपर उठना चाहिए और किसी भी इंसान की तकलीफ समाज की सोच को छूनी चाहिए. केंद्रीय सलाहकार कमेटी की सदस्य फाखरा तबस्सुम ने सभी वक्ताओं के योगदान को सराहते हुए धन्यवाद दिया.

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