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सुप्रीम कोर्ट ने उमर, शरजील की जमानत पर सुनवाई टाली…. दिल्ली पुलिस ने इन्हें ‘इंटेलेक्चुअल टेररिस्ट’ बताया

उमर खालिद, शरजील इमाम सहित अन्य छात्र नेताओं के वकीलों ने कोर्ट के सामने सबूतों की मजबूती पर सवाल उठाते हुए कहा कि कई स्टूडेंट्स और हिंसक घटनाओं के बीच कोई सीधा लिंक नहीं है.

Supreme Court On Umar Khalid, Sharjeel Imam: उमर खालिद, शरजील इमाम सहित अन्य छात्र नेताओं को एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिली. सुप्रीम कोर्ट ने पिछले पांच साल से अधिक समय से जेल में बंद उमर खालिद, शरजील इमाम और अन्य पांच छात्र नेताओं की जमानत याचिकाओं पर सुनवाई फिलहाल टाल दी है. इन पर 2020 दिल्ली दंगों की साजिश मामले में UAPA के तहत आरोप लगे हैं. अब इनकी जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में 2 दिसंबर को सुनवाई होगी.

दिल्ली पुलिस ने गंभीर आरोप लगाया

सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार, 21 नवंबर की सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस ने इन जमानत याचिकाओं का कड़ा विरोध किया. द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार, पुलिस का कहना था कि खालिद और बाकी आरोपी सिर्फ जमानत पाने के लिए संवैधानिक अधिकारों का हवाला दे रहे हैं, जबकि उनके खिलाफ मौजूद सबूतों से पता चलता है कि वे राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा हैं.

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एस.वी. राजू की ओर से पेश होकर, पुलिस ने जस्टिस अरविंद कुमार और जस्टिस एन.वी. अंजारिया की बेंच से कहा कि दंगे अचानक नहीं भड़के थे. पुलिस ने इस हिंसा को संगठित और सुनियोजित साजिश बताया.

दिल्ली पुलिस ने इन्हें ‘इंटेलेक्चुअल टेररिस्ट’ बताया

वहीं एडिशनल सॉलिसिटर जनरल राजू ने एक संरक्षित गवाह के बयानों का हवाला देते हुए आरोप लगाया कि साजिशकर्ताओं ने चक्का जाम करवाए, असम को भारत से अलग-थलग करने की योजना बनाई, और डंडों से लैस समूहों को पत्थरबाजी कराने के लिए जमा किया.

अभियोजन पक्ष ने तर्क दिया कि खालिद और इमाम जैसे लोग “इंटेलेक्चुअल टेररिस्ट” थे जिन्होंने प्रोटेस्ट के पीछे की चर्चाओं और प्लानिंग पर असर डाला. प्रॉसिक्यूशन ने यह भी दावा किया कि एंटीCAA प्रोटेस्ट असहमति का शांतिपूर्ण इजहार नहीं थे, बल्कि उनका मकसद नेपाल और बांग्लादेश की तरह सरकार बदलना था.

‘उमर सहित अन्य लोगों को लगातार हिरासत में रखना गलत’

वहीं उमर खालिद, शरजील इमाम सहित अन्य छात्र नेताओं के वकीलों ने कोर्ट के सामने सबूतों की मजबूती पर सवाल उठाते हुए कहा कि कई स्टूडेंट्स और हिंसक घटनाओं के बीच कोई सीधा लिंक नहीं है. उन्होंने यह भी बताया कि उमर खालिद और शरजील इमाम बिना ट्रायल के पहले ही पांच साल से ज्यादा जेल में बिता चुके हैं, और तर्क दिया कि उन्हें लगातार हिरासत में रखना गलत है.

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